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भगवान् श्री कृष्ण का अवंतिका नगरी (उज्जैन) में गुप्त रूप से विद्या अध्यन एवं राजकुमारी माता मित्रविन्दा से विवाह।
भगवान् श्री कृष्ण का अवंतिका नगरी (उज्जैन) में गुप्त रूप से विद्या अध्यन एवं राजकुमारी माता मित्रविन्दा से विवाह।
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भगवान् श्री कृष्ण का अवंतिका नगरी (उज्जैन) में गुप्त रूप से विद्या अध्यन एवं राजकुमारी माता मित्रविन्दा से विवाह।
नीले मेघ के समान श्याम शरीर वाले सगुण रूप श्री रामजी! सीताजी और छोटे भाई लक्ष्मणजी सहित प्रभु (आप) निरंतर मेरे हृदय में निवास कीजिए॥
नीले मेघ के समान श्याम शरीर वाले सगुण रूप श्री रामजी! सीताजी और छोटे भाई लक्ष्मणजी सहित प्रभु (आप) निरंतर मेरे हृदय में निवास कीजिए॥
श्री सीताराम जी के ११ स्वरूपों का ध्यान
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नीले मेघ के समान श्याम शरीर वाले सगुण रूप श्री रामजी! सीताजी और छोटे भाई लक्ष्मणजी सहित प्रभु (आप) निरंतर मेरे हृदय में निवास कीजिए॥
विष्णु भगवान्ने उसी चक्रकी सहायतासे असुरोंका बिना परिश्रम बहुत शीघ्र ही विनाश कर डाला और तीनों लोकोंमें आनन्दकी भेरी बजने लगी। उस चक्रको विष्णु भगवान् बहुत आदरपूर्वक धारण किये रहते हैं और जब-जब शत्रुओंका संहार करना होता है, तब-तब उसे काममें लाते हैं।
विष्णु भगवान्ने उसी चक्रकी सहायतासे असुरोंका बिना परिश्रम बहुत शीघ्र ही विनाश कर डाला और तीनों लोकोंमें आनन्दकी भेरी बजने लगी। उस चक्रको विष्णु भगवान् बहुत आदरपूर्वक धारण किये रहते हैं और जब-जब शत्रुओंका संहार करना होता है, तब-तब उसे काममें लाते हैं।
बैकुंठ चतुर्दशी
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विष्णु भगवान्ने उसी चक्रकी सहायतासे असुरोंका बिना परिश्रम बहुत शीघ्र ही विनाश कर डाला और तीनों लोकोंमें आनन्दकी भेरी बजने लगी। उस चक्रको विष्णु भगवान् बहुत आदरपूर्वक धारण किये रहते हैं और जब-जब शत्रुओंका संहार करना होता है, तब-तब उसे काममें लाते हैं।
नारदपुराण में वर्णित विभीन्न मंत्रों द्वारा श्रीहनुमानजी की उपासना एवं उनका दर्शन प्राप्त करने की मंत्र-साधना, दीपदान की विधि (१/१)-
नारदपुराण में वर्णित विभीन्न मंत्रों द्वारा श्रीहनुमानजी की उपासना एवं उनका दर्शन प्राप्त करने की मंत्र-साधना, दीपदान की विधि (१/१)-
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नारदपुराण में वर्णित विभीन्न मंत्रों द्वारा श्रीहनुमानजी की उपासना एवं उनका दर्शन प्राप्त करने की मंत्र-साधना, दीपदान की विधि (१/१)-
वृषभानुसुता जगतजननी श्री राधाजी के प्राकट्य का रहस्य, समय एवं राधाष्टमी व्रत का माहात्म्य- (२/३)
वृषभानुसुता जगतजननी श्री राधाजी के प्राकट्य का रहस्य, समय एवं राधाष्टमी व्रत का माहात्म्य- (२/३)
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वृषभानुसुता जगतजननी श्री राधाजी के प्राकट्य का रहस्य, समय एवं राधाष्टमी व्रत का माहात्म्य- (२/३)
याज्ञवल्क्य जी भरद्वाज जी से कहते है, श्रीराम जी की कथा चंद्रमा की किरणों के समान है, जिसे संतरूपी चकोर सदा पान करते हैं। ऐसा ही संदेह पार्वतीजी ने भी किया था, तब महादेव ने विस्तार से उसका उत्तर दिया था।
याज्ञवल्क्य जी भरद्वाज जी से कहते है, श्रीराम जी की कथा चंद्रमा की किरणों के समान है, जिसे संतरूपी चकोर सदा पान करते हैं। ऐसा ही संदेह पार्वतीजी ने भी किया था, तब महादेव ने विस्तार से उसका उत्तर दिया था।
अवतार हेतु पार्वतीजी का प्रश्न और महादेव का उत्तर
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याज्ञवल्क्य जी भरद्वाज जी से कहते है, श्रीराम जी की कथा चंद्रमा की किरणों के समान है, जिसे संतरूपी चकोर सदा पान करते हैं। ऐसा ही संदेह पार्वतीजी ने भी किया था, तब महादेव ने विस्तार से उसका उत्तर दिया था।