माता मंगला गौरी को समर्पित श्रावण मंगलवार व्रत कथा महात्म्य एवं विधान (२/२)
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श्री जगन्नाथ रथ यात्रा की कथा
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गणगौर महोत्सव (कथा-विधान) एवं गीत
मौनी अमावस्या
आस्था और विश्वास के महापर्व कुम्भ स्नान मेले की प्राचीन कथा एवं महात्म्य (२/२)
कुम्भ महापर्व
प्रभु ने अच्छा किया जो मुझे शिक्षा (दंड) दी, किंतु मर्यादा (जीवों का स्वभाव) भी आपकी ही बनाई हुई है। ढोल, गँवार, शूद्र, पशु और स्त्री- ये सब शिक्षा के अधिकारी हैं॥ प्रभु के प्रताप से मैं सूख जाऊँगा और सेना पार उतर जाएगी, इसमें मेरी बड़ाई नहीं है (मेरी मर्यादा नहीं रहेगी)।
ढोल गवाँर सूद्र पसु नारी। सकल ताड़ना के अधिकारी,चौपाई का अर्थ
भगवान् श्री कृष्ण की रामभद्र लीला-
मकर संक्रांति की शुभकामनाएं।
अवधूतश्रेष्ठ गुरुदेव भगवान् श्री दत्तात्रेय
भगवान् श्री दत्तात्रेय जयंती
भगवान् सूर्य की कथा एवं सूर्योपासना (२/२)
वह ब्रह्मभूत-अवस्थाको प्राप्त प्रसन्न मनवाला साधक न तो किसीके लिये शोक करता है और न किसीकी इच्छा करता है। ऐसा सम्पूर्ण प्राणियोंमें समभाववाला साधक मेरी पराभक्तिको प्राप्त हो जाता है।
भगवान् शिव और भगवान् श्रीहरि के संयुक्त अवतार, श्री हनुमानजी के वृषाकपि रूप (२/२)
गीता सुगीता कर्तव्या किमन्यैः शास्त्रसंग्रहैः ।
श्री गीताजी का तात्विक विवेचन- (१/२)
गीता जयंती की शुभकामनाएं
श्रीवामन भगवान् की कथा एवं वामन द्वादशी व्रत विधान (२/२)
अनंत चतुर्दशी पर्व का माहात्म्य, रहस्य एवं अनन्तसूत्र बांधने का मंत्र और व्रत-विधान (२/२)
पितरों के लिए पिंडदान
जीव की सद्गति हेतु और्ध्वदैहिक श्राद्ध संस्कार
पितृपक्ष में श्राद्ध करने का शास्त्रोक्त नियम एवं माहात्म्य (कल्याण वृतपर्वोत्सव अंक से साभार) (२/४)
पितृपक्ष में श्राद्ध एवं पिंडदान करने का शास्त्रोक्त नियम एवं माहात्म्य (१/४)
भगवती श्री महालक्ष्मी व्रत ( सोरहिया वृत) (२/२)
हो चुके एवं आने वाले मन्वन्तरों में सप्तऋषियों की नाम सूची-
जलादिनाथ भगवान् श्रीवरुण
वसन्त पंचमी की शुभकामनाएं-
सुग्रीवजी ने कहा- हे रघुवीर! सुनिए। सोच छोड़ दीजिए और मन में धीरज लाइए। मैं सब प्रकार से आपकी सेवा करूँगा, जिस उपाय से जानकी जी आकर आपको मिलें॥
सखा सुग्रीव
"हम ॐकारस्वरूप पवित्रकीर्ति भगवान् श्रीरामजी को नमस्कार करते है। आपमे सत्पुरुषो के लक्षण, शील व आचरण विद्यमान है, आप बड़े ही संयतचित्त, लोकाराधनतत्पर, साधुताकी परीक्षाके लिये कसौटी के समान और अत्यन्त ब्राह्मणभक्त हैं। ऐसे महापुरुष महाराज श्रीरामको हमारा आपको पुनः पुनः प्रणाम है।"
श्री हनुमानजी कृत श्रीराम स्तुति
महाशिवरात्रि के आख्यान।
श्री राममन्त्र साधना (२/२)
कालजयी मूल्यों का पर्व विजयादशमी