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पूर्णकाम, आनंद की राशि, अजन्मा और अविनाशी श्री रामजी मनुष्यों के चरित्र कर रहे हैं। आगे (जाने पर) उन्होंने गृध्रपति जटायु को पड़ा देखा। वह श्री रामचंद्रजी के चरणों का स्मरण कर रहा था, जिनमें (ध्वजा, कुलिश आदि की) रेखाएँ (चिह्न) हैं॥
पूर्णकाम, आनंद की राशि, अजन्मा और अविनाशी श्री रामजी मनुष्यों के चरित्र कर रहे हैं। आगे (जाने पर) उन्होंने गृध्रपति जटायु को पड़ा देखा। वह श्री रामचंद्रजी के चरणों का स्मरण कर रहा था, जिनमें (ध्वजा, कुलिश आदि की) रेखाएँ (चिह्न) हैं॥
भगवान श्रीराम के ४८ चरण चिन्ह-
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पूर्णकाम, आनंद की राशि, अजन्मा और अविनाशी श्री रामजी मनुष्यों के चरित्र कर रहे हैं। आगे (जाने पर) उन्होंने गृध्रपति जटायु को पड़ा देखा। वह श्री रामचंद्रजी के चरणों का स्मरण कर रहा था, जिनमें (ध्वजा, कुलिश आदि की) रेखाएँ (चिह्न) हैं॥
भगवान् विष्णु के अत्यंत प्रेम-लपेटे अटपटे वचन सुनकर शंकरजी मन-ही-मन मुसकराने लगे और बोले, हे नारायण ! यह आप क्या कह रहे हैं? आपसे बढ़कर मुझे और कोई प्रिय हो सकता है? औरोंकी तो बात ही क्या, पार्वती भी मुझे आपके समान प्रिय नहीं है।
भगवान् विष्णु के अत्यंत प्रेम-लपेटे अटपटे वचन सुनकर शंकरजी मन-ही-मन मुसकराने लगे और बोले, हे नारायण ! यह आप क्या कह रहे हैं? आपसे बढ़कर मुझे और कोई प्रिय हो सकता है? औरोंकी तो बात ही क्या, पार्वती भी मुझे आपके समान प्रिय नहीं है।
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भगवान् विष्णु के अत्यंत प्रेम-लपेटे अटपटे वचन सुनकर शंकरजी मन-ही-मन मुसकराने लगे और बोले, हे नारायण ! यह आप क्या कह रहे हैं? आपसे बढ़कर मुझे और कोई प्रिय हो सकता है? औरोंकी तो बात ही क्या, पार्वती भी मुझे आपके समान प्रिय नहीं है।
भगवान् श्री कृष्ण का अवंतिका नगरी (उज्जैन) में गुप्त रूप से विद्या अध्यन एवं राजकुमारी माता मित्रविन्दा से विवाह।
भगवान् श्री कृष्ण का अवंतिका नगरी (उज्जैन) में गुप्त रूप से विद्या अध्यन एवं राजकुमारी माता मित्रविन्दा से विवाह।
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भगवान् श्री कृष्ण का अवंतिका नगरी (उज्जैन) में गुप्त रूप से विद्या अध्यन एवं राजकुमारी माता मित्रविन्दा से विवाह।
नीले मेघ के समान श्याम शरीर वाले सगुण रूप श्री रामजी! सीताजी और छोटे भाई लक्ष्मणजी सहित प्रभु (आप) निरंतर मेरे हृदय में निवास कीजिए॥
नीले मेघ के समान श्याम शरीर वाले सगुण रूप श्री रामजी! सीताजी और छोटे भाई लक्ष्मणजी सहित प्रभु (आप) निरंतर मेरे हृदय में निवास कीजिए॥
श्री सीताराम जी के ११ स्वरूपों का ध्यान
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नीले मेघ के समान श्याम शरीर वाले सगुण रूप श्री रामजी! सीताजी और छोटे भाई लक्ष्मणजी सहित प्रभु (आप) निरंतर मेरे हृदय में निवास कीजिए॥
विष्णु भगवान्ने उसी चक्रकी सहायतासे असुरोंका बिना परिश्रम बहुत शीघ्र ही विनाश कर डाला और तीनों लोकोंमें आनन्दकी भेरी बजने लगी। उस चक्रको विष्णु भगवान् बहुत आदरपूर्वक धारण किये रहते हैं और जब-जब शत्रुओंका संहार करना होता है, तब-तब उसे काममें लाते हैं।
विष्णु भगवान्ने उसी चक्रकी सहायतासे असुरोंका बिना परिश्रम बहुत शीघ्र ही विनाश कर डाला और तीनों लोकोंमें आनन्दकी भेरी बजने लगी। उस चक्रको विष्णु भगवान् बहुत आदरपूर्वक धारण किये रहते हैं और जब-जब शत्रुओंका संहार करना होता है, तब-तब उसे काममें लाते हैं।
बैकुंठ चतुर्दशी
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विष्णु भगवान्ने उसी चक्रकी सहायतासे असुरोंका बिना परिश्रम बहुत शीघ्र ही विनाश कर डाला और तीनों लोकोंमें आनन्दकी भेरी बजने लगी। उस चक्रको विष्णु भगवान् बहुत आदरपूर्वक धारण किये रहते हैं और जब-जब शत्रुओंका संहार करना होता है, तब-तब उसे काममें लाते हैं।
नारदपुराण में वर्णित विभीन्न मंत्रों द्वारा श्रीहनुमानजी की उपासना एवं उनका दर्शन प्राप्त करने की मंत्र-साधना, दीपदान की विधि (१/१)-
नारदपुराण में वर्णित विभीन्न मंत्रों द्वारा श्रीहनुमानजी की उपासना एवं उनका दर्शन प्राप्त करने की मंत्र-साधना, दीपदान की विधि (१/१)-
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नारदपुराण में वर्णित विभीन्न मंत्रों द्वारा श्रीहनुमानजी की उपासना एवं उनका दर्शन प्राप्त करने की मंत्र-साधना, दीपदान की विधि (१/१)-