अढ़ुकि परहिं फिरि हेरहिं पीछें। राम बियोगि बिकल दु:ख तीछें॥·x.com·Dec 6, 2024अढ़ुकि परहिं फिरि हेरहिं पीछें। राम बियोगि बिकल दु:ख तीछें॥
मागी नाव न केवटु आना। कहइ तुम्हार मरमु मैं जाना॥·x.com·Dec 6, 2024मागी नाव न केवटु आना। कहइ तुम्हार मरमु मैं जाना॥
करम बचन मन छाड़ि छलु जब लगि जनु न तुम्हार।·x.com·Dec 3, 2024करम बचन मन छाड़ि छलु जब लगि जनु न तुम्हार।
जेहिं पद सुरसरिता परम पुनीता प्रगट भई सिव सीस धरी।·x.com·Dec 3, 2024जेहिं पद सुरसरिता परम पुनीता प्रगट भई सिव सीस धरी।
जेहिं पद सुरसरिता परम पुनीता प्रगट भई सिव सीस धरी।·x.com·Dec 3, 2024जेहिं पद सुरसरिता परम पुनीता प्रगट भई सिव सीस धरी।
जेहिं पद सुरसरिता परम पुनीता प्रगट भई सिव सीस धरी। सोई पद पंकज जेहि पूजत अज मम सिर धरेउ कृपाल हरी॥·x.com·Dec 3, 2024जेहिं पद सुरसरिता परम पुनीता प्रगट भई सिव सीस धरी। सोई पद पंकज जेहि पूजत अज मम सिर धरेउ कृपाल हरी॥
सुनि मारीच निसाचर क्रोही। लै सहाय धावा मुनिद्रोही॥·x.com·Dec 3, 2024सुनि मारीच निसाचर क्रोही। लै सहाय धावा मुनिद्रोही॥
जौं नहिं फिरहिं धीर दोउ भाई। सत्यसंध दृढ़ब्रत रघुराई॥·x.com·Nov 29, 2024जौं नहिं फिरहिं धीर दोउ भाई। सत्यसंध दृढ़ब्रत रघुराई॥
मैं गंगा तट का सेवक हूँ, तुम भवसागर के स्वामी हो।·x.com·Nov 29, 2024मैं गंगा तट का सेवक हूँ, तुम भवसागर के स्वामी हो।
छुअत सिला भइ नारि सुहाई। पाहन तें न काठ कठिनाई॥·x.com·Nov 29, 2024छुअत सिला भइ नारि सुहाई। पाहन तें न काठ कठिनाई॥
केवट उतरि दंडवत कीन्हा। प्रभुहि सकुच एहि नहिं कछु दीन्हा॥·x.com·Nov 29, 2024केवट उतरि दंडवत कीन्हा। प्रभुहि सकुच एहि नहिं कछु दीन्हा॥
पद नख निरखि देवसरि हरषी। सुनि प्रभु बचन मोहँ मति करषी॥·x.com·Nov 29, 2024पद नख निरखि देवसरि हरषी। सुनि प्रभु बचन मोहँ मति करषी॥
जासु नाम सुमरत एक बारा। उतरहिं नर भवसिंधु अपारा।।·x.com·Nov 29, 2024जासु नाम सुमरत एक बारा। उतरहिं नर भवसिंधु अपारा।।
ए प्रिय सबहि जहाँ लगि प्रानी। मन मुसुकाहिं रामु सुनि बानी॥·x.com·Nov 29, 2024ए प्रिय सबहि जहाँ लगि प्रानी। मन मुसुकाहिं रामु सुनि बानी॥
दुइ बरदान भूप सन थाती। मागहु आजु जुड़ावहु छाती॥दशरथ जी के कैकई माता को दिए दो वरदान·x.com·Nov 29, 2024दुइ बरदान भूप सन थाती। मागहु आजु जुड़ावहु छाती॥
वन में जाए ताड़का मारी । चरण छुआए अहिल्या तारी॥·x.com·Nov 28, 2024वन में जाए ताड़का मारी । चरण छुआए अहिल्या तारी॥
परिहरि रामु सीय जग माहीं। कोउ न कहिहि मोर मत नाहीं॥·x.com·Nov 28, 2024परिहरि रामु सीय जग माहीं। कोउ न कहिहि मोर मत नाहीं॥
जिन्ह के चरन सरोरुह लागी। करत बिबिध जप जोग बिरागी॥·x.com·Nov 27, 2024जिन्ह के चरन सरोरुह लागी। करत बिबिध जप जोग बिरागी॥
जिन्ह के चरन सरोरुह लागी। करत बिबिध जप जोग बिरागी॥·x.com·Nov 27, 2024जिन्ह के चरन सरोरुह लागी। करत बिबिध जप जोग बिरागी॥
राम चलत अति भयउ बिषादू। सुनि न जाइ पुर आरत नादू॥·x.com·Nov 27, 2024राम चलत अति भयउ बिषादू। सुनि न जाइ पुर आरत नादू॥
रायँ राम राखन हित लागी। बहुत उपाय किए छलु त्यागी॥·x.com·Nov 27, 2024रायँ राम राखन हित लागी। बहुत उपाय किए छलु त्यागी॥
सुमिरि महेसहि कहइ निहोरी। बिनती सुनहु सदासिव मोरी॥·x.com·Nov 27, 2024सुमिरि महेसहि कहइ निहोरी। बिनती सुनहु सदासिव मोरी॥
भाव सहित खोजइ जो प्रानी। पाव भगति मनि सब सुख खानी॥·x.com·Nov 27, 2024भाव सहित खोजइ जो प्रानी। पाव भगति मनि सब सुख खानी॥
सबहिं बिचारु कीन्ह मन माहीं। राम लखन सिय बिनु सुखु नाहीं॥·x.com·Nov 27, 2024सबहिं बिचारु कीन्ह मन माहीं। राम लखन सिय बिनु सुखु नाहीं॥