अष्टसिद्धि नवनिधि कर जोरे, द्वारै रहति खरी।
Baal Madhuri
हरिहर
अंतरयामी सदाशिव जान्यौ, रुदन कियौ अति गाढौ।
जिसकी वक्र भृकुटि के डर से सागर सप्त उछलते देखा।
चन्द्र खिलौना लैहों री मैया चन्द्र खिलौना लैहों।
मैया री मैं चंद लहौंगौ।
यह तौ झलमलात झकझोरत, कैसें कै जु लहौंगौ?