Bhagwan ke Bhakt

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नारायण
नारायण
भक्त विमलतीर्थ
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नारायण
भगवान् के अनन्य भक्त गिरिराज श्री गोवर्धन जी के चार दिव्य स्वरूप व उन दिव्य स्वरूपों का दर्शन करने का मार्ग (१/२)
भगवान् के अनन्य भक्त गिरिराज श्री गोवर्धन जी के चार दिव्य स्वरूप व उन दिव्य स्वरूपों का दर्शन करने का मार्ग (१/२)
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भगवान् के अनन्य भक्त गिरिराज श्री गोवर्धन जी के चार दिव्य स्वरूप व उन दिव्य स्वरूपों का दर्शन करने का मार्ग (१/२)
लग्यौ ललकि मुख कमल विलोकन, भूलि गई सुधि ग्राह ग्रसन की। मनु रथ पै आवत दरसावत, भुज भूषित जन सिर परसन की।
लग्यौ ललकि मुख कमल विलोकन, भूलि गई सुधि ग्राह ग्रसन की। मनु रथ पै आवत दरसावत, भुज भूषित जन सिर परसन की।
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लग्यौ ललकि मुख कमल विलोकन, भूलि गई सुधि ग्राह ग्रसन की। मनु रथ पै आवत दरसावत, भुज भूषित जन सिर परसन की।
भक्तियोग बड़ी तीव्रता से पूर्व कर्मोव पापो का व्यय करवा देता है, क्योंकि सारे ग्रह नक्षत्र ध्रुव जी की ही परिक्रमा करते है और इसीलिए सुदामा को भी प्रभु को याद करने में इतना समय लगा, ज्योतिषों को भी ये बात जरूर याद रखनी चाहिए।
भक्तियोग बड़ी तीव्रता से पूर्व कर्मोव पापो का व्यय करवा देता है, क्योंकि सारे ग्रह नक्षत्र ध्रुव जी की ही परिक्रमा करते है और इसीलिए सुदामा को भी प्रभु को याद करने में इतना समय लगा, ज्योतिषों को भी ये बात जरूर याद रखनी चाहिए।
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भक्तियोग बड़ी तीव्रता से पूर्व कर्मोव पापो का व्यय करवा देता है, क्योंकि सारे ग्रह नक्षत्र ध्रुव जी की ही परिक्रमा करते है और इसीलिए सुदामा को भी प्रभु को याद करने में इतना समय लगा, ज्योतिषों को भी ये बात जरूर याद रखनी चाहिए।