प्रथमं शैलपुत्री च, द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
Bhagwati
जग संभव पालन लय कारिनि। निज इच्छा लीला बपु धारिनि॥
भवानीशङ्करौ वन्दे श्रद्धाविश्वासरूपिणौ।
कृष्णकाली
लेख
जाके बाहुदण्ड बलवारिधि-निमग्न हृैकै, शुंभ आदि सबै असुराधिप अथै गये।
अजा अनादि सक्ति अबिनासिनि। सदा संभु अरधंग निवासिनि॥
अजा अनादि सक्ति अबिनासिनि। सदा संभु अरधंग निवासिनि॥
नमस्ते सिद्धसेनानि आयें मन्दरवासिनि।
नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नमः।
शारदीय नवरात्र
जय जय गिरिबरराज किसोरी। जय महेस मुख चंद चकोरी॥
मध्ये सुधाब्धिमणिमण्डपरत्नवेद्यां सिंहासनोपरिगतां परिपीतवर्णाम्।
जय जय गिरिवर राज किशोरी। जय महेश मुख चन्द चकोरी।
सदा संभु अरधंग निवासिनि..
या श्रद्धा धारणा मेधा वाग्देवी विधिवल्लभा।
कृष्णवामांसभूतायै कृष्णायै सततं नमः।
यमुना मैया
श्री ललितामहात्रिपुरसुंदरी
सो नर इंद्रजाल नहिं भूला। जा पर होइ सो नट अनुकूला॥
काली काली महाकाली कालिके परमेश्वरी ।
जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥
सेवत तोहि सुलभ फल चारी। बरदायनी पुरारी पिआरी॥
अत्रिपत्नी महाभागा दयाक्षान्त्यादिभूषिता।
रामकथा ससि किरन समाना। संत चकोर करहिं जेहि पाना॥
यथा भर्तृसमं नान्यमहं पश्यामि दैवतम्। तेन सत्येन विप्रोऽयं पुनर्जीवत्वनामयः॥
माता अनुसूया
जय जय गिरिबरराज किसोरी। जय महेस मुख चंद चकोरी॥
अजा अनादि सक्ति अबिनासिनि। सदा संभु अरधंग निवासिनि॥
अजा अनादि सक्ति अबिनासिनि। सदा संभु अरधंग निवासिनि॥
जौं तपु करै कुमारि तुम्हारी। भाविउ मेटि सकहिं त्रिपुरारी॥
मैं पा परउँ कहइ जगदंबा। तुम्ह गृह गवनहु भयउ बिलंबा॥
जन्म कोटि लगि रगर हमारी। बरउँ संभु न त रहउँ कुआरी॥
एक कलप सुर देखि दुखारे। समर जलंधर सन सब हारे॥