भगवती श्री महालक्ष्मी व्रत (सोरहिया वृत) (१/२)
Bhagwati lakshmi
माँ
गिरा अरथ जल बीचि सम कहिअत भिन्न न भिन्न।
श्री
गो द्विज हितकारी जय असुरारी सिंधुसुता प्रिय कंता..
सिंधुसुता
ऐश्वर्यकी अधिष्ठात्री देवी भगवती श्रीलक्ष्मीका समाराधनपर्व दीपावली महोत्सव एवं विभिन्न कथाएं (१/३)
प्रद्युम्न जननी माता रुक्मणि
भगवती महालक्ष्मी
तुलसीजी
लक्ष्मीं श्रियं च कमलां कमलालयां च
पद्मानने पद्मविपद्मपत्रे पद्मप्रिये पद्मदलायताक्षि।
पञ्चमी दण्डनाथा च संकेता समयेश्वरी।
सिंधुसुता माँ महालक्ष्मी
श्री
ऐश्वर्य्याधिष्ठातृदेवी सर्वमङ्गलकारिणी।
राघवत्वेऽभवत्सीता रुक्मिणी कृष्णजन्मनि।
लक्ष्मीं श्रियं च कमलां कमलालयां च
जो लक्ष्मी, श्री, कमला, कमलालया, पद्मा, रमा, नलिनयुग्मकरा ( दोनों हाथों में कमल धारण करनेवाली ), मा, क्षीरोदजा, अमृतकुम्भकरा ( हाथों में अमृत का कलश धारण करनेवाली ), इरा और विष्णुप्रिया, इन नामों का सदा जप करते हैं, उनके लिये कहीं दुःख नहीं है ॥