Guru Maharaj

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जो सदा ही आनन्दरूप, श्रेष्ठ सुखदायी स्वरूप वाले, ज्ञान के साक्षात् विग्रह रूप है। जो संसार के द्वन्द्वों(सुख-दुःख) से रहित, व्यापक आकाश के सदृश (निर्लिप्त) है, जो एक ही परमात्म तत्त्व (तत्त्वमसि) को सदैव लक्ष्य किये रहते है। जो एक है, नित्य है, सदैव शुद्ध स्वरूप है, अचल रहने वाले
जो सदा ही आनन्दरूप, श्रेष्ठ सुखदायी स्वरूप वाले, ज्ञान के साक्षात् विग्रह रूप है। जो संसार के द्वन्द्वों(सुख-दुःख) से रहित, व्यापक आकाश के सदृश (निर्लिप्त) है, जो एक ही परमात्म तत्त्व (तत्त्वमसि) को सदैव लक्ष्य किये रहते है। जो एक है, नित्य है, सदैव शुद्ध स्वरूप है, अचल रहने वाले
श्रीदत्त भगवान् के लीला प्रसंग
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जो सदा ही आनन्दरूप, श्रेष्ठ सुखदायी स्वरूप वाले, ज्ञान के साक्षात् विग्रह रूप है। जो संसार के द्वन्द्वों(सुख-दुःख) से रहित, व्यापक आकाश के सदृश (निर्लिप्त) है, जो एक ही परमात्म तत्त्व (तत्त्वमसि) को सदैव लक्ष्य किये रहते है। जो एक है, नित्य है, सदैव शुद्ध स्वरूप है, अचल रहने वाले
नित्यानन्दं परमसुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिं द्वन्द्वातीतं गगनसदृशं तत्त्वमस्यादिलक्ष्यम्।
नित्यानन्दं परमसुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिं द्वन्द्वातीतं गगनसदृशं तत्त्वमस्यादिलक्ष्यम्।
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नित्यानन्दं परमसुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिं द्वन्द्वातीतं गगनसदृशं तत्त्वमस्यादिलक्ष्यम्।