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Guru Maharaj
दत्तो मयाहमिति यद् भगवान् स दत्तः।
एकइ धर्म एक ब्रत नेमा। कायँ बचन मन पति पद प्रेमा॥
अत्रिपत्नी महाभागा दयाक्षान्त्यादिभूषिता।
अत्रेरपत्यमभिकाङ्क्षत आह तुष्टो दत्तो मयाहमिति यद् भगवान् स दत्तः।
दत्तं दत्तं पुनर्दत्तं यो वदेद्भक्तिसम्युतः।
बंदऊँ गुरु पद पदुम परागा। सुरुचि सुबास सरस अनुरागा॥
गुरुदेव दत्त
वशिष्ठकाश्यपोऽत्रिर्जमदग्निस्सगौतमः।
काषाय वस्त्रं करदंडधारिणं कमंडलु पद्मकरण शंखम्।
श्रीमध्वाचार्य जयंती की शुभकामनाएं
अयि नन्दतनुज किंकरं पतितं मां विषमे भवाम्बुधौ।
श्री चैतन्य महाप्रभु
आचार्य उपमन्यु एवं भगवान् श्रीकृष्ण
युधिष्ठिरजी का राजसूयज्ञ
गिरिजा संत समागम सम न लाभ कछु आन।
स्वामी श्री रामकृष्ण परमहंस के जीवन का एक दुर्लभ प्रसंग-
भगवान् की वंशी के अवतार गोस्वामी श्री हितहरिवंश जी महाराज
जो सदा ही आनन्दरूप, श्रेष्ठ सुखदायी स्वरूप वाले, ज्ञान के साक्षात् विग्रह रूप है। जो संसार के द्वन्द्वों(सुख-दुःख) से रहित, व्यापक आकाश के सदृश (निर्लिप्त) है, जो एक ही परमात्म तत्त्व (तत्त्वमसि) को सदैव लक्ष्य किये रहते है। जो एक है, नित्य है, सदैव शुद्ध स्वरूप है, अचल रहने वाले
श्रीदत्त भगवान् के लीला प्रसंग
काषाय वस्त्रं कर दंड धारिणं
श्रवणं कीर्तनं विष्णोः स्मरणं पादसेवनम्।
नवधा भक्ति के 9 आचार्य
व्यासाय विष्णुरूपाय, व्यासरूपाय विष्णवे।
पाराशर्यं परमपुरुषं विश्ववेदैकयोनिं
गुरुदेव श्री समर्थ रामदास को श्रीहरि विठ्ठल में भगवान् श्रीरामचंद्रजी के दर्शन।
गुर श्रुति संमत धरम फलु पाइअ बिनहिं कलेस।
नित्यानन्दं परमसुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिं द्वन्द्वातीतं गगनसदृशं तत्त्वमस्यादिलक्ष्यम्।
बंदउँ गुरु पद कंज, कृपा सिंधु नररूप हरि।
महाप्रभु
अत्रिपत्नी महाभागा दयाक्षान्त्यादिभूषिता।
अत्रेरपत्यमभिकाङ्क्षत आह तुष्टो दत्तो मयाहमिति यद् भगवान् स दत्तः।
पंद्रह सौ चौवन बिसे, कालिंदी के तीर ।
पाराशर्यं परमपुरुषं विश्ववेदैकयोनिं विद्याधारं विमलमनसं वेदवेदान्तवेद्यम्।