Lanka kand

41 bookmarks
Custom sorting
प्रभु भल कीन्ह मोहि सिख दीन्हीं। मरजादा पुनि तुम्हरी कीन्हीं॥
प्रभु भल कीन्ह मोहि सिख दीन्हीं। मरजादा पुनि तुम्हरी कीन्हीं॥
ढोल गंवार शुद्र पशु नारी चौपाई की स्वामी श्रीरामसुखदास जी महाराज द्वारा व्याख्या
·x.com·
प्रभु भल कीन्ह मोहि सिख दीन्हीं। मरजादा पुनि तुम्हरी कीन्हीं॥
जब पाहन भे बनबाहन से, उतरे बनरा, 'जय राम' रढ़ें। तुलसी लिएँ सैल-सिला सब सोहत, सागरु ज्यों बल बारि बढ़ें॥
जब पाहन भे बनबाहन से, उतरे बनरा, 'जय राम' रढ़ें। तुलसी लिएँ सैल-सिला सब सोहत, सागरु ज्यों बल बारि बढ़ें॥
·x.com·
जब पाहन भे बनबाहन से, उतरे बनरा, 'जय राम' रढ़ें। तुलसी लिएँ सैल-सिला सब सोहत, सागरु ज्यों बल बारि बढ़ें॥
सिर जटा मुकुट प्रसून बिच बिच अति मनोहर राजहीं। जनु नीलगिरि पर तड़ित पटल समेत उडुगन भ्राजहीं॥
सिर जटा मुकुट प्रसून बिच बिच अति मनोहर राजहीं। जनु नीलगिरि पर तड़ित पटल समेत उडुगन भ्राजहीं॥
·x.com·
सिर जटा मुकुट प्रसून बिच बिच अति मनोहर राजहीं। जनु नीलगिरि पर तड़ित पटल समेत उडुगन भ्राजहीं॥