माता मंगला गौरी को समर्पित श्रावण मंगलवार व्रत कथा महात्म्य एवं विधान (१/२)
Mahadev Shankar
हर हर महादेव
मानस पूजा
महामुनि गाधि, कौशिक तथा महर्षि पिप्पलाद का नाम स्मरण करने से 'शनिग्रह कृत पीडा' नष्ट हो जाती है।
महर्षि दधीचि पुत्र रुद्रावतार महर्षि पिप्पलाद की कथा
जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजंगमश्वस-
भगवान् शिव के बारह ज्योतिर्लिङ्गों की कथाऐं (१/१२)
भगवान् श्रीहरिहर के संयुक्त अवतार, श्री हनुमानजी के वृषाकपि रूप (१/२)
महादेव
तरुन अरुन अंबुज सम चरना। नख दुति भगत हृदय तम हरना॥
भगवती
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका, प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनों एका।
भाविउ मेटि सकहिं त्रिपुरारी..
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम्॥
या श्रीः स्वयं सुकृतिनां भवनेष्वलक्ष्मीः पापात्मनां कृतधियां हृदयेषु बुद्धिः।
ॐ घण्टाशूलहलानि शङ्खमुसले चक्रं धनुः सायकं हस्ताब्जैर्दधतीं घनान्तविलसच्छीतांशुतुल्यप्रभाम्।
सरस्वति महाभागे विद्ये कमललोचने ।
वीणा वादिनी
जासु नाम सुमरत एक बारा। उतरहिं नर भवसिंधु अपारा।।
शिवरात्रि की कथा में रामायण के निषादराज
जगदम्बा
सदा संभु अरधंग निवासिनि..
भगवती
जग संभव पालन लय कारिनि..
जरत सकल सुर बृंद बिषम गरल जेहिं पान किय।
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सिव पद कमल जिन्हहि रति नाहीं। रामहि ते सपनेहुँ न सोहाहीं॥
भगवती कालरात्रि
भगवती महिषासुरमर्दिनि
भगवती
नीलकंठ
जय बाबा अमरनाथ
रुद्र