श्री घाटी सुब्रमण्यम स्वामी मंदिर
Mahadev Shankar
भगवती
भगवती
स्वामी बाल सुब्रमण्यम
सदा संभु अरधंग निवासिनि॥
देवी मातंगी
महादेव
विधिवल्लभा
भगवान् शिव (अवधूतेश्वरावतार) की कथा (१/२)
स्कन्द
महादेव
सेतुबन्धे च रामेशं
श्री तारकेश्वर महादेव
मगन ध्यान रस दंड जुग पुनि मन बाहेर कीन्ह।
भगवती
बेल पाती महि परइ सुखाई। तीनि सहस संबत सोइ खाई॥
वन्दे बोधमयं नित्यं गुरुं शङ्कररूपिणम्।
पुनि बंदउँ सारद सुरसरिता। जुगल पुनीत मनोहर चरिता॥
काकभुसुंडि संग हम दोऊ। मनुजरूप जानइ नहिं कोऊ॥
सच्चिदानंद के ज्योतिष महादेव
जो माया सब जगहि नचावा। जासु चरित लखि काहुँ न पावा॥
पुनि बंदउँ सारद सुरसरिता। जुगल पुनीत मनोहर चरिता॥
सिंहासनगता नित्यं पद्मान्वितकरद्वया।
श्वेते वृषे समारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः ।
द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्रम्-
रूप- सुख-शील-सीमाऽसि, भीमाऽसि रामाऽसि, वामाऽसि वर बुद्धि बानी।
भवं भवानी सहितं नमामि
पर्वत राज हिमाचल से ब्रह्मर्षि नारद जी कहते हैं ✨
हरषे हेतु हेरि हर ही को। किय भूषन तिय भूषन ती को॥
तुम्ह माया भगवान सिव सकल गजत पितु मातु।
शिवजी का प्रदोष नृत्य