Shri Bharat ji

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मन अगहुँड़, तनु पुलक सिथिल भयो, नलिन नयन भरे नीर। गड़त गोड़ मानो सकुच-पंक महँ, कढ़त प्रेम-बल धीर॥
मन अगहुँड़, तनु पुलक सिथिल भयो, नलिन नयन भरे नीर। गड़त गोड़ मानो सकुच-पंक महँ, कढ़त प्रेम-बल धीर॥
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मन अगहुँड़, तनु पुलक सिथिल भयो, नलिन नयन भरे नीर। गड़त गोड़ मानो सकुच-पंक महँ, कढ़त प्रेम-बल धीर॥