SundarKand

116 bookmarks
Newest
श्रीरामजी के अनन्य सेवक श्रीपवनकुमार के स्पर्श से देवी तो पाताल में प्रविष्ट हो गयीं और उनके स्थान पर स्वयं श्रीरामदूत देवी रूप में भयानक मुख फाड़कर खड़े हो गये और अहिरावण जितनी सामग्री देवी को अर्पित करता वे सब हनुमानजी ग्रहण कर लेते थे।
श्रीरामजी के अनन्य सेवक श्रीपवनकुमार के स्पर्श से देवी तो पाताल में प्रविष्ट हो गयीं और उनके स्थान पर स्वयं श्रीरामदूत देवी रूप में भयानक मुख फाड़कर खड़े हो गये और अहिरावण जितनी सामग्री देवी को अर्पित करता वे सब हनुमानजी ग्रहण कर लेते थे।
·x.com·
श्रीरामजी के अनन्य सेवक श्रीपवनकुमार के स्पर्श से देवी तो पाताल में प्रविष्ट हो गयीं और उनके स्थान पर स्वयं श्रीरामदूत देवी रूप में भयानक मुख फाड़कर खड़े हो गये और अहिरावण जितनी सामग्री देवी को अर्पित करता वे सब हनुमानजी ग्रहण कर लेते थे।