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श्री हनुमानबाहुक के पाठ से हनुमानजी का दर्शन (सत्य घटना)
ऐसी हरि करत दासपर प्रीति।
गोविन्द
समुद्रमंथन से माता कामधेनु की उत्पत्ति
सूर्य संवत्सर चक्र
माघ मकरगत रबि जब होई। तीरथपतिहिं आव सब कोई॥
महात्मा गरुडजी के बारह नाम इस प्रकार है-
ज्येष्ठे मासि सिते पक्षे दशमी हस्तसंयुता।
गंगा दशहरा
माँ गंगा के अवतरण (गंगा दशहरा का महत्व) एवं विष्णुपदी नाम पड़ने की कथा (१/२)
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धातुः कमण्डलुजलं तदुरुक्रमस्य पादावनेजनपवित्रतया नरेन्द्र ।
Source- कल्याण मासिक अंक (आदिपुराण)
आदिपुराण
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका, प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनों एका।
माता द्रौपदी के जन्म की कथा यही से शुरू होती है और यह कथा महाभारत युद्ध का एक प्रमख कारण भी है।
उभयोः प्रकृतिस्त्वेका प्रत्ययभेदेन भिन्नवद् भाति।
सनातन धर्म ही जगत् की स्थिति का आधार है, क्योंकि यह सर्वव्यापक है, सार्वभौमिक है, उन सब धर्मों से पुराना है जिनको मनुष्य ने बनाया है। जो क्योंकि जो धर्मं जगत् का आधार है, निश्चित ही उसका जन्म जगत् की सृष्टि के समकालीन ही है, अनादि है।
देखी माया सब विधि गाढ़ी । अति सभीत जोरें कर ठाढ़ी ||
समुद्रमंथन से माता कामधेनु की उत्पत्ति
देश धर्म पर मिटने वाला शेर शिवा का छावा था । महापराक्रमी, परम प्रतापी एक ही शंभू राजा था ।
हे देवर्षि! मै न तो वैकुण्ठ मे और न ही योगीजनो के ह्रदय मे मेरा निवास होता है। मै तो उन भक्तो के पास सदैव रहता हूँ जहाँ मेरे भक्त चित्त व तन्मय होकर मुझको भजते है व मेरे मधुर नामो का संकीर्तन करते है।
दशावतार स्तोत्र
त्रयाणामेकभावानां यो न पश्यति वै भिदाम्।
महात्मा गरुडजी के बारह नाम इस प्रकार है-
गरुड़ जी
राम-नाम मनि दीप धरु, जीह देहरी द्वार।
इहाँ भानुकुल कमल दिवाकर। कपिन्ह देखावत नगर मनोहर॥
His brutality could be Imagined by reading what was engraved on the Sword of the Mass murderer , Name a single country who celebrate Birth Anniversary of a Tyrant..!!
भगवान् श्रीविष्णु के आठवें अवतार, महाराज भरत के पिता एवं जैन धर्म के आदितीर्थंकर भगवान् श्री ऋषभदेव जी (१/२)
"संघर्ष जितना बड़ा होगा, जीत भी उतनी ही शानदार होगी।"