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माता द्रौपदी के जन्म की कथा यही से शुरू होती है और यह कथा महाभारत युद्ध का एक प्रमख कारण भी है।
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माता द्रौपदी के जन्म की कथा यही से शुरू होती है और यह कथा महाभारत युद्ध का एक प्रमख कारण भी है।
सनातन धर्म ही जगत्‌ की स्थिति का आधार है, क्योंकि यह सर्वव्यापक है, सार्वभौमिक है, उन सब धर्मों से पुराना है जिनको मनुष्य ने बनाया है। जो क्योंकि जो धर्मं जगत् का आधार है, निश्चित ही उसका जन्म जगत् की सृष्टि के समकालीन ही है, अनादि है।
सनातन धर्म ही जगत्‌ की स्थिति का आधार है, क्योंकि यह सर्वव्यापक है, सार्वभौमिक है, उन सब धर्मों से पुराना है जिनको मनुष्य ने बनाया है। जो क्योंकि जो धर्मं जगत् का आधार है, निश्चित ही उसका जन्म जगत् की सृष्टि के समकालीन ही है, अनादि है।
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सनातन धर्म ही जगत्‌ की स्थिति का आधार है, क्योंकि यह सर्वव्यापक है, सार्वभौमिक है, उन सब धर्मों से पुराना है जिनको मनुष्य ने बनाया है। जो क्योंकि जो धर्मं जगत् का आधार है, निश्चित ही उसका जन्म जगत् की सृष्टि के समकालीन ही है, अनादि है।
हे देवर्षि! मै न तो वैकुण्ठ मे और न ही योगीजनो के ह्रदय मे मेरा निवास होता है। मै तो उन भक्तो के पास सदैव रहता हूँ जहाँ मेरे भक्त चित्त व तन्मय होकर मुझको भजते है व मेरे मधुर नामो का संकीर्तन करते है।
हे देवर्षि! मै न तो वैकुण्ठ मे और न ही योगीजनो के ह्रदय मे मेरा निवास होता है। मै तो उन भक्तो के पास सदैव रहता हूँ जहाँ मेरे भक्त चित्त व तन्मय होकर मुझको भजते है व मेरे मधुर नामो का संकीर्तन करते है।
दशावतार स्तोत्र
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हे देवर्षि! मै न तो वैकुण्ठ मे और न ही योगीजनो के ह्रदय मे मेरा निवास होता है। मै तो उन भक्तो के पास सदैव रहता हूँ जहाँ मेरे भक्त चित्त व तन्मय होकर मुझको भजते है व मेरे मधुर नामो का संकीर्तन करते है।
भगवान् श्रीविष्णु के आठवें अवतार, महाराज भरत के पिता एवं जैन धर्म के आदितीर्थंकर भगवान् श्री ऋषभदेव जी (१/२)
भगवान् श्रीविष्णु के आठवें अवतार, महाराज भरत के पिता एवं जैन धर्म के आदितीर्थंकर भगवान् श्री ऋषभदेव जी (१/२)
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भगवान् श्रीविष्णु के आठवें अवतार, महाराज भरत के पिता एवं जैन धर्म के आदितीर्थंकर भगवान् श्री ऋषभदेव जी (१/२)