जो लक्ष्मी, श्री, कमला, कमलालया, पद्मा, रमा, नलिनयुग्मकरा ( दोनों हाथों में कमल धारण करनेवाली ), मा, क्षीरोदजा, अमृतकुम्भकरा ( हाथों में अमृत का कलश धारण करनेवाली ), इरा और विष्णुप्रिया, इन नामों का सदा जप करते हैं, उनके लिये कहीं दुःख नहीं है ॥Bhagwati lakshmi·x.com·Dec 3, 2024जो लक्ष्मी, श्री, कमला, कमलालया, पद्मा, रमा, नलिनयुग्मकरा ( दोनों हाथों में कमल धारण करनेवाली ), मा, क्षीरोदजा, अमृतकुम्भकरा ( हाथों में अमृत का कलश धारण करनेवाली ), इरा और विष्णुप्रिया, इन नामों का सदा जप करते हैं, उनके लिये कहीं दुःख नहीं है ॥
लक्ष्मीं श्रियं च कमलां कमलालयां चBhagwati lakshmi·x.com·Dec 3, 2024लक्ष्मीं श्रियं च कमलां कमलालयां च
आगें रामु लखनु बने पाछें। तापस बेष बिराजत काछें॥Shri Raghunath ji·x.com·Dec 3, 2024आगें रामु लखनु बने पाछें। तापस बेष बिराजत काछें॥
बानि बिनायकु अंब रबि गुरु हर रमा रमेस।Shri Raghunath ji·x.com·Dec 3, 2024बानि बिनायकु अंब रबि गुरु हर रमा रमेस।
ऐश्वर्यस्य समग्रस्य धर्मस्य यशसः श्रियः।भगवान् कौन है?Narayan·x.com·Dec 3, 2024ऐश्वर्यस्य समग्रस्य धर्मस्य यशसः श्रियः।
राघवत्वेऽभवत्सीता रुक्मिणी कृष्णजन्मनि।Bhagwati lakshmi·x.com·Dec 3, 2024राघवत्वेऽभवत्सीता रुक्मिणी कृष्णजन्मनि।
ऐश्वर्य्याधिष्ठातृदेवी सर्वमङ्गलकारिणी।Bhagwati lakshmi·x.com·Dec 3, 2024ऐश्वर्य्याधिष्ठातृदेवी सर्वमङ्गलकारिणी।
जेहिं पद सुरसरिता परम पुनीता प्रगट भई सिव सीस धरी।Ayodhya Kand·x.com·Dec 3, 2024जेहिं पद सुरसरिता परम पुनीता प्रगट भई सिव सीस धरी।
ननाम राघवोऽहल्यां रामोऽहमिति चाब्रवीत् ।Ayodhya Kand·x.com·Dec 3, 2024ननाम राघवोऽहल्यां रामोऽहमिति चाब्रवीत् ।
जेहिं पद सुरसरिता परम पुनीता प्रगट भई सिव सीस धरी।Ayodhya Kand·x.com·Dec 3, 2024जेहिं पद सुरसरिता परम पुनीता प्रगट भई सिव सीस धरी।
जेहिं पद सुरसरिता परम पुनीता प्रगट भई सिव सीस धरी। सोई पद पंकज जेहि पूजत अज मम सिर धरेउ कृपाल हरी॥Ayodhya Kand·x.com·Dec 3, 2024जेहिं पद सुरसरिता परम पुनीता प्रगट भई सिव सीस धरी। सोई पद पंकज जेहि पूजत अज मम सिर धरेउ कृपाल हरी॥
गो द्विज हितकारी जय असुरारी सिंधुसुता प्रिय कंता..Narayan·x.com·Dec 3, 2024गो द्विज हितकारी जय असुरारी सिंधुसुता प्रिय कंता..
ईसनके ईस, महाराजनके महाराज, देवनके देव, देव! प्रानहुके प्रान हौं।Narayan·x.com·Dec 3, 2024ईसनके ईस, महाराजनके महाराज, देवनके देव, देव! प्रानहुके प्रान हौं।
सति भाउ कै सपनो ? निहारि कुमार कोसलरायके। गहे चरन, जे अघहरन नत जन-बचन-मानस-कायके॥Aranya Kand·x.com·Dec 3, 2024सति भाउ कै सपनो ? निहारि कुमार कोसलरायके। गहे चरन, जे अघहरन नत जन-बचन-मानस-कायके॥
सुनि मारीच निसाचर क्रोही। लै सहाय धावा मुनिद्रोही॥Ayodhya Kand·x.com·Dec 3, 2024सुनि मारीच निसाचर क्रोही। लै सहाय धावा मुनिद्रोही॥
निर्मल मन जन सो मोहि पावा। मोहि कपट छल छिद्र न भावा॥Narayan·x.com·Dec 3, 2024निर्मल मन जन सो मोहि पावा। मोहि कपट छल छिद्र न भावा॥
जिनकी केवल कृपा दृष्टि से सकल विश्व को पलते देखा.Shri Krishna·x.com·Dec 3, 2024जिनकी केवल कृपा दृष्टि से सकल विश्व को पलते देखा.
तपबल रचइ प्रपंचु बिधाता। तपबल बिष्नु सकल जग त्राता॥Narayan·x.com·Dec 3, 2024तपबल रचइ प्रपंचु बिधाता। तपबल बिष्नु सकल जग त्राता॥
जड पंच मिलै जेहिं देह करी करनी लखु धीं धरनीधरकी।Shri Krishna·x.com·Dec 3, 2024जड पंच मिलै जेहिं देह करी करनी लखु धीं धरनीधरकी।
तरुन अरुन अंबुज सम चरना। नख दुति भगत हृदय तम हरना॥Mahadev Shankar·x.com·Dec 3, 2024तरुन अरुन अंबुज सम चरना। नख दुति भगत हृदय तम हरना॥
रूप-विसेष नाम बिनु जाने। करतल-गत न परहिं पहिचाने ॥Shri Raghunath ji·x.com·Dec 3, 2024रूप-विसेष नाम बिनु जाने। करतल-गत न परहिं पहिचाने ॥
लीन्हों उखारि पहार विशाल, चल्यौ तेहि काल विलम्ब न लायौ।SundarKand·x.com·Dec 3, 2024लीन्हों उखारि पहार विशाल, चल्यौ तेहि काल विलम्ब न लायौ।
लील्यो उखारि पहारू बिसाल, चल्यो तेहि काल, बिलंबु न लायो।Shri Hanumanji·x.com·Dec 3, 2024लील्यो उखारि पहारू बिसाल, चल्यो तेहि काल, बिलंबु न लायो।
सुनु सुरेस उपदेसु हमारा। रामहि सेवकु परम पिआरा॥Shri Bharat ji·x.com·Dec 3, 2024सुनु सुरेस उपदेसु हमारा। रामहि सेवकु परम पिआरा॥
मिटिहहिं पाप प्रपंच सब अखिल अमंगल भार । लोक सुजसु परलोक सुखु सुमिरत नामु तुम्हार ॥Shri Bharat ji·x.com·Dec 3, 2024मिटिहहिं पाप प्रपंच सब अखिल अमंगल भार । लोक सुजसु परलोक सुखु सुमिरत नामु तुम्हार ॥
राम भगत परहित निरत पर दु:ख दुखी दयाल।Shri Bharat ji·x.com·Dec 3, 2024राम भगत परहित निरत पर दु:ख दुखी दयाल।
जटाजूट सिर मुनिपट धारी। महि खनि कुस साँथरी सँवारी॥Shri Bharat ji·x.com·Dec 3, 2024जटाजूट सिर मुनिपट धारी। महि खनि कुस साँथरी सँवारी॥
राम मातु गुर पद सिरु नाई। प्रभु पद पीठ रजायसु पाई॥Shri Bharat ji·x.com·Dec 3, 2024राम मातु गुर पद सिरु नाई। प्रभु पद पीठ रजायसु पाई॥