सुनि सिख पाइ असीस बड़ि गनक बोलि दिनु साधि।Shri Bharat ji·x.com·Dec 3, 2024सुनि सिख पाइ असीस बड़ि गनक बोलि दिनु साधि।
अब कृपाल जस आयसु होई। करौं सीस धरि सादर सोई॥Shri Bharat ji·x.com·Dec 3, 2024अब कृपाल जस आयसु होई। करौं सीस धरि सादर सोई॥
होत न भूतल भाउ भरत को। अचर सचर चर अचर करत को॥Shri Bharat ji·x.com·Dec 3, 2024होत न भूतल भाउ भरत को। अचर सचर चर अचर करत को॥
कहत सप्रेम नाइ महि माथा। भरत प्रनाम करत रघुनाथा॥Shri Bharat ji·x.com·Dec 3, 2024कहत सप्रेम नाइ महि माथा। भरत प्रनाम करत रघुनाथा॥
मन अगहुँड़, तनु पुलक सिथिल भयो, नलिन नयन भरे नीर। गड़त गोड़ मानो सकुच-पंक महँ, कढ़त प्रेम-बल धीर॥Shri Bharat ji·x.com·Dec 3, 2024मन अगहुँड़, तनु पुलक सिथिल भयो, नलिन नयन भरे नीर। गड़त गोड़ मानो सकुच-पंक महँ, कढ़त प्रेम-बल धीर॥
कुलिसह चाहि कठोर अति कोमल कुसुमहु चाहि।Bhagwan ke Bhakt·x.com·Dec 3, 2024कुलिसह चाहि कठोर अति कोमल कुसुमहु चाहि।
कोटि-कोटि शत मदन-रति सहज विनिन्दक रूप।Shri Krishna·x.com·Dec 3, 2024कोटि-कोटि शत मदन-रति सहज विनिन्दक रूप।
एक एक रिपुते त्रासित जन,तुम राखे रघुबीर।Bhagwan ke Bhakt·x.com·Dec 3, 2024एक एक रिपुते त्रासित जन,तुम राखे रघुबीर।
अपतु अजामिलु गजु गनिकाऊ। भए मुकुत हरि नाम प्रभाऊ॥Bhagwan ke Bhakt·x.com·Dec 3, 2024अपतु अजामिलु गजु गनिकाऊ। भए मुकुत हरि नाम प्रभाऊ॥
उमा संत कइ इहइ बड़ाई। मंद करत जो करइ भलाई॥Bhagwan ke Bhakt·x.com·Dec 3, 2024उमा संत कइ इहइ बड़ाई। मंद करत जो करइ भलाई॥
महामंत्र जोइ जपत महेसू। कासीं मुकुति हेतु उपदेसू॥Shri Ganesh·x.com·Dec 3, 2024महामंत्र जोइ जपत महेसू। कासीं मुकुति हेतु उपदेसू॥
तुलसी यह तनु तवा है, तपत सदा त्रैताप।Shri Raghunath ji·x.com·Dec 3, 2024तुलसी यह तनु तवा है, तपत सदा त्रैताप।
आरतपाल कृपाल जो रामु जेहीं सुमिरे तेहिको तहँ ठाढ़े।Narayan·x.com·Dec 3, 2024आरतपाल कृपाल जो रामु जेहीं सुमिरे तेहिको तहँ ठाढ़े।
सहित दोष दु:ख दास दुरासा। दलइ नामु जिमि रबि निसि नासा॥Shri Raghunath ji·x.com·Dec 3, 2024सहित दोष दु:ख दास दुरासा। दलइ नामु जिमि रबि निसि नासा॥
राम-नाम मनि दीप धरु, जीह देहरी द्वार।Bhagwan ke Bhakt·x.com·Dec 3, 2024राम-नाम मनि दीप धरु, जीह देहरी द्वार।
जाना चहहिं गूढ़ गति जेऊ। नाम जीहँ जपि जानहिं तेऊ॥Shri Raghunath ji·x.com·Dec 3, 2024जाना चहहिं गूढ़ गति जेऊ। नाम जीहँ जपि जानहिं तेऊ॥
कबहुँ समय सुधि द्यायबी, मेरी मातु जानकी।Shri Sita Ji·x.com·Dec 3, 2024कबहुँ समय सुधि द्यायबी, मेरी मातु जानकी।
मारुत सुत मैं कपि हनुमाना। नामु मोर सुनु कृपानिधाना॥SundarKand·x.com·Dec 3, 2024मारुत सुत मैं कपि हनुमाना। नामु मोर सुनु कृपानिधाना॥
धृत शर धनुषं रघुकुल तिलकं। गरुडध्वज स्थित कौस्तुभ भरणं।Narayan·x.com·Nov 29, 2024धृत शर धनुषं रघुकुल तिलकं। गरुडध्वज स्थित कौस्तुभ भरणं।
जनकसुता जग जननि जानकी। अतिसय प्रिय करुनानिधान की॥Shri Sita Ji·x.com·Nov 29, 2024जनकसुता जग जननि जानकी। अतिसय प्रिय करुनानिधान की॥
समुद्रमंथन से माता कामधेनु की उत्पत्तिVarious·x.com·Nov 29, 2024समुद्रमंथन से माता कामधेनु की उत्पत्ति
देखि मनहि महुँ कीन्ह प्रनामा। बैठेहिं बीति जात निसि जामा॥Shri Sita Ji·x.com·Nov 29, 2024देखि मनहि महुँ कीन्ह प्रनामा। बैठेहिं बीति जात निसि जामा॥
स पद्मकोशः सहसोदतिष्ठत् कालेन कर्मप्रतिबोधनेन।Narayan·x.com·Nov 29, 2024स पद्मकोशः सहसोदतिष्ठत् कालेन कर्मप्रतिबोधनेन।
जय ताड़का- सुबाहु- मथन मारीच मानहर!Vivaah Prasang·x.com·Nov 29, 2024जय ताड़का- सुबाहु- मथन मारीच मानहर!