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जसुमति अपनौ पुन्य बिचारै। बार-बार सिसु बदन निहारै॥ अँग फरकाइ अलप मुसकाने। या छबि की उपमा को जानै॥
जसुमति अपनौ पुन्य बिचारै। बार-बार सिसु बदन निहारै॥ अँग फरकाइ अलप मुसकाने। या छबि की उपमा को जानै॥
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जसुमति अपनौ पुन्य बिचारै। बार-बार सिसु बदन निहारै॥ अँग फरकाइ अलप मुसकाने। या छबि की उपमा को जानै॥
याज्ञवल्क्य जी भरद्वाज जी से कहते है, श्रीराम जी की कथा चंद्रमा की किरणों के समान है, जिसे संतरूपी चकोर सदा पान करते हैं। ऐसा ही संदेह पार्वतीजी ने भी किया था, तब महादेव ने विस्तार से उसका उत्तर दिया था।
याज्ञवल्क्य जी भरद्वाज जी से कहते है, श्रीराम जी की कथा चंद्रमा की किरणों के समान है, जिसे संतरूपी चकोर सदा पान करते हैं। ऐसा ही संदेह पार्वतीजी ने भी किया था, तब महादेव ने विस्तार से उसका उत्तर दिया था।
शिव पार्वती संवाद
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याज्ञवल्क्य जी भरद्वाज जी से कहते है, श्रीराम जी की कथा चंद्रमा की किरणों के समान है, जिसे संतरूपी चकोर सदा पान करते हैं। ऐसा ही संदेह पार्वतीजी ने भी किया था, तब महादेव ने विस्तार से उसका उत्तर दिया था।
जो गौतम मुनिकी स्त्री अहल्याको शापसे मुक्त करनेवाले, विश्वामित्रके यज्ञकी रक्षा करनेमें बड़े चतुर और अपने भक्तोंका पक्ष करनेवाले है तथा राजा जनककी सभामें शिवजी का धनुष तोड़कर महान् तेजस्वी एवं क्रोधी परशुरामजीके गर्व को हरण करनेवाले हैं ॥
जो गौतम मुनिकी स्त्री अहल्याको शापसे मुक्त करनेवाले, विश्वामित्रके यज्ञकी रक्षा करनेमें बड़े चतुर और अपने भक्तोंका पक्ष करनेवाले है तथा राजा जनककी सभामें शिवजी का धनुष तोड़कर महान् तेजस्वी एवं क्रोधी परशुरामजीके गर्व को हरण करनेवाले हैं ॥
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जो गौतम मुनिकी स्त्री अहल्याको शापसे मुक्त करनेवाले, विश्वामित्रके यज्ञकी रक्षा करनेमें बड़े चतुर और अपने भक्तोंका पक्ष करनेवाले है तथा राजा जनककी सभामें शिवजी का धनुष तोड़कर महान् तेजस्वी एवं क्रोधी परशुरामजीके गर्व को हरण करनेवाले हैं ॥
श्री भैरव महाराज के इन दस नामों क्रमशः, कपाली, कुण्डली, भीम, भैरव, भीमविक्रम, व्यालोपवीती, कवची, शूली, शूर तथा शिवप्रिय, का जो प्रातःकाल उठकर पाठ करता है, उसे न कभी कोई भैरवी यातना होती है और न कोई सांसारिक भय होता है।
श्री भैरव महाराज के इन दस नामों क्रमशः, कपाली, कुण्डली, भीम, भैरव, भीमविक्रम, व्यालोपवीती, कवची, शूली, शूर तथा शिवप्रिय, का जो प्रातःकाल उठकर पाठ करता है, उसे न कभी कोई भैरवी यातना होती है और न कोई सांसारिक भय होता है।
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श्री भैरव महाराज के इन दस नामों क्रमशः, कपाली, कुण्डली, भीम, भैरव, भीमविक्रम, व्यालोपवीती, कवची, शूली, शूर तथा शिवप्रिय, का जो प्रातःकाल उठकर पाठ करता है, उसे न कभी कोई भैरवी यातना होती है और न कोई सांसारिक भय होता है।
कपाली कुण्डली भीमो भैरवो भीमविक्रमः । व्यालोपवीती कवची शूली शूरः शिवप्रियः ॥
कपाली कुण्डली भीमो भैरवो भीमविक्रमः । व्यालोपवीती कवची शूली शूरः शिवप्रियः ॥
श्री भैरवनाथ की उपासना
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कपाली कुण्डली भीमो भैरवो भीमविक्रमः । व्यालोपवीती कवची शूली शूरः शिवप्रियः ॥