ॐ घण्टाशूलहलानि शङ्खमुसले चक्रं धनुः सायकं हस्ताब्जैर्दधतीं घनान्तविलसच्छीतांशुतुल्यप्रभाम्।
@da_vyas Tweets Collection
जिसकी वक्र भृकुटि के डर से सागर सप्त उछलते देखा।
सिद्धयन्ति सर्वकार्याणि मनसा चिन्तितान्यपि। तेन ख्यातिं गतो लोके नाम्ना सिद्धिविनायकः।।
बिस्वनाथ मम नाथ पुरारी। त्रिभुवन महिमा बिदित तुम्हारी॥
जब जब होइ धरम कै हानी। बाढहिं असुर अधम अभिमानी।।
लिंग थापि बिधिवत करि पूजा। सिव समान प्रिय मोहि न दूजा॥
विभवभेद कछु कोउ न जाना। सकल जनक कर करहिँ बखाना ॥
स्फुरत्किरीटवलय हारनूपुरमेखलम्।
स्वाहाकारः स्वधा चैव कला काष्ठा सरस्वती।
त्यागहिं कर्म सुभासुभ दायक। भजहिं मोहि सुर नर मुनि नायक॥
अयोध्या मथुरा माया काशी कांची अवंतिका।
विनायकं बुद्धिनिधि गणेश्वरं, लम्बोदरं शंभुसुतं गजाननम्।
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।
धर्माधर्मान् विजित्याथ बदरीशं विभुं हरिम् ।
बद्रीनाथ जी
अष्टविनायक के नाम स्थान व स्थान
सूर्यकोटि समप्रभ
चन्द्र खिलौना लैहों री मैया चन्द्र खिलौना लैहों।
मैया री मैं चंद लहौंगौ।
यह तौ झलमलात झकझोरत, कैसें कै जु लहौंगौ?
रामस्य नाम रूपं च लीला धाम परात्परम्। एतच्चतुष्टयं सर्व सच्चिदानन्दविग्रहम्॥
राम लखन मुनि गन मिलन मंजुल मंगल मूल।
सबहिं बिचारु कीन्ह मन माहीं। राम लखन सिय बिनु सुखु नाहीं॥
श्रीरामः शरणं समस्तजगतां रामं विना का गती रामेण प्रतिहन्यते कलिमलं रामाय कार्यं नमः ।
तया स राजर्षिसुतोऽभिकामया समेयिवानुत्तमराजकन्यया ।
सा राम प्रकृतिः प्रोक्ता शिवेच्छा पारमेश्वरी जगन्मायेति विख्याता स्पन्दशक्तिरकृत्रिमा ॥
वाञ्छितार्थं प्रदास्यामि भक्तानां राघवस्य तु।
साधु, साधु, साधक धीर, धर्म-धन धन्य राम!
भगवान श्री रामचन्द्रजी के बहनोई महर्षि ऋष्यश्रृंग।
प्रथम राम भेंटी कैकेई। सरल सुभायँ भगति मति भेई॥
भगत हेतु भगवान प्रभु राम धरेउ तनु भूप।