Narayan

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वेदानुद्धरते जगन्निवहते भूगोलमुद्विभ्रते दैत्यं दारयते बलिं छलयते क्षत्रक्षयं कुर्वते।
वेदानुद्धरते जगन्निवहते भूगोलमुद्विभ्रते दैत्यं दारयते बलिं छलयते क्षत्रक्षयं कुर्वते।
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वेदानुद्धरते जगन्निवहते भूगोलमुद्विभ्रते दैत्यं दारयते बलिं छलयते क्षत्रक्षयं कुर्वते।
जिनका चरित्र सम्पूर्ण विघ्नोंसे मुक्त, अनन्त और अपार है, जो तीनो लोकोंकी रक्षाके लिये सर्वोपरि मार्गदर्शक हैं, जिन्होंने लीलापूर्व कूर्म विग्रह धारण कर रखा है, जो कल्प के अन्त में स्नान करने के ब्याज से समुद्र के मध्य में कभी आगे बढ़ते हुए ऊपर-नीचे गोते लगा लोट-पोट हो रहे थे,
जिनका चरित्र सम्पूर्ण विघ्नोंसे मुक्त, अनन्त और अपार है, जो तीनो लोकोंकी रक्षाके लिये सर्वोपरि मार्गदर्शक हैं, जिन्होंने लीलापूर्व कूर्म विग्रह धारण कर रखा है, जो कल्प के अन्त में स्नान करने के ब्याज से समुद्र के मध्य में कभी आगे बढ़ते हुए ऊपर-नीचे गोते लगा लोट-पोट हो रहे थे,
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जिनका चरित्र सम्पूर्ण विघ्नोंसे मुक्त, अनन्त और अपार है, जो तीनो लोकोंकी रक्षाके लिये सर्वोपरि मार्गदर्शक हैं, जिन्होंने लीलापूर्व कूर्म विग्रह धारण कर रखा है, जो कल्प के अन्त में स्नान करने के ब्याज से समुद्र के मध्य में कभी आगे बढ़ते हुए ऊपर-नीचे गोते लगा लोट-पोट हो रहे थे,
यो धत्ते शेषनागं तदनु वसुमतीं स्वर्गपातालयुक्तां युक्तां सर्वैः समुद्रैर्हिमगिरिकनकप्रस्थमुख्यैर्नगेन्द्रैः।
यो धत्ते शेषनागं तदनु वसुमतीं स्वर्गपातालयुक्तां युक्तां सर्वैः समुद्रैर्हिमगिरिकनकप्रस्थमुख्यैर्नगेन्द्रैः।
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यो धत्ते शेषनागं तदनु वसुमतीं स्वर्गपातालयुक्तां युक्तां सर्वैः समुद्रैर्हिमगिरिकनकप्रस्थमुख्यैर्नगेन्द्रैः।
वराह अवतार- जिनका तत्त्व मन्त्रोंसे जाना जाता है, जो यज्ञ और क्रतुरूप हैं तथा बड़े-बड़े यज्ञ जिनके अङ्ग हैं, उन ओंकारस्वरूप शुक्लकर्ममय त्रियुगमूर्ति पुरुषोत्तम भगवान् वराह को बार बार नमस्कार है, भगवान वराह ने ही अहंकारी हिरण्याक्ष का वध करके धरती को पाप मुक्त करा था ।।
वराह अवतार- जिनका तत्त्व मन्त्रोंसे जाना जाता है, जो यज्ञ और क्रतुरूप हैं तथा बड़े-बड़े यज्ञ जिनके अङ्ग हैं, उन ओंकारस्वरूप शुक्लकर्ममय त्रियुगमूर्ति पुरुषोत्तम भगवान् वराह को बार बार नमस्कार है, भगवान वराह ने ही अहंकारी हिरण्याक्ष का वध करके धरती को पाप मुक्त करा था ।।
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वराह अवतार- जिनका तत्त्व मन्त्रोंसे जाना जाता है, जो यज्ञ और क्रतुरूप हैं तथा बड़े-बड़े यज्ञ जिनके अङ्ग हैं, उन ओंकारस्वरूप शुक्लकर्ममय त्रियुगमूर्ति पुरुषोत्तम भगवान् वराह को बार बार नमस्कार है, भगवान वराह ने ही अहंकारी हिरण्याक्ष का वध करके धरती को पाप मुक्त करा था ।।
प्रभु सत्य करी प्रहलादगिरा, प्रगटे नरकेहरि खंभ महाँ। झषराज ग्रस्यो गजराजु, कृपा ततकाल बिलंबु कियो न तहाँ।
प्रभु सत्य करी प्रहलादगिरा, प्रगटे नरकेहरि खंभ महाँ। झषराज ग्रस्यो गजराजु, कृपा ततकाल बिलंबु कियो न तहाँ।
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प्रभु सत्य करी प्रहलादगिरा, प्रगटे नरकेहरि खंभ महाँ। झषराज ग्रस्यो गजराजु, कृपा ततकाल बिलंबु कियो न तहाँ।