वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम्। देवकीपरमानन्दं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्॥
Shri Krishna
श्री राधाजी
गोविन्दं गोकुलानन्दं गोपालं गोपिवल्लभम्।
जब जदुबंस कृष्न अवतारा। होइहि हरन महा महिभारा॥
अधोक्षजात्मा अच्युत भुवः। नारसिंह वपु प्रद्युम्न परा।
श्री राधिका सकल गुन पूरन, जाके स्याम अधीन। सँग तैँ होत नहीं कहुँ न्यारे, भए रहत अति लीन॥
काला नाग नथैया, नटवर छबि सोहे।
नाहं वसामि वैकुंठे योगिनां हृदये न च।
दामोदर लीला का रहस्य एवं श्रापित कुबेरपुत्रों (यमलार्जुन) के उद्धार की कथा (१/४)
दामोदर लीला, भाग १ (१/३)
वृषभानुसुता जगतजननी श्री राधाजी के प्राकट्य का रहस्य, समय एवं राधाष्टमी व्रत का माहात्म्य- (१/३)
नन्वेतदुपनीतं मे परमप्रीणनं सखे।
सुदामा का ऐश्वर्य
सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।
जो सुख सूर अमर मुनि दुरलभ सो नंद भामिनि पावै॥
अहोभाग्य मम अमित अति राम कृपा सुख पुंज।
अष्टसिद्धि नवनिधि कर जोरे, द्वारै रहति खरी।
श्री राधिका सकल गुन पूरन, जाके स्याम अधीन। सँग तैँ होत नहीं कहुँ न्यारे, भए रहत अति लीन॥
हरिहर
अंतरयामी सदाशिव जान्यौ, रुदन कियौ अति गाढौ।
पदानि तस्याखिललोकपालकिरीटजुष्टामलपादरेणोः ।
जिसकी वक्र भृकुटि के डर से सागर सप्त उछलते देखा।
चन्द्र खिलौना लैहों री मैया चन्द्र खिलौना लैहों।
मैया री मैं चंद लहौंगौ।
यह तौ झलमलात झकझोरत, कैसें कै जु लहौंगौ?