ब्रह्मभूतः प्रसन्नात्मा न शोचति न काङ्क्षति।
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जानि राम सेवा सरस समुझि करब अनुमान।
भगवान् शिव और भगवान् श्रीहरि के संयुक्त अवतार, श्री हनुमानजी के वृषाकपि रूप (२/२)
भगवान् श्रीहरिहर के संयुक्त अवतार, श्री हनुमानजी के वृषाकपि रूप (१/२)
गीता मे हृदयं पार्थ गीता मे सारमुत्तमम्।
गीता सुगीता कर्तव्या किमन्यैः शास्त्रसंग्रहैः ।
श्री गीताजी का तात्विक विवेचन- (१/२)
गीता जयंती की शुभकामनाएं
एकु मैं मंद मोहबस कुटिल हृदय अग्यान।
मोर न्याउ मैं पूछा साईं। तुम्ह पूछहु कस नर की नाईं॥
प्रभु पहिचानि परेउ गहि चरना। सो सुख उमा जाइ नहिं बरना॥
जासु सनेह सकोच बस राम प्रगट भए आई।
देखा भरत बिसाल अति निसिचर मन अनुमानि।
लघु बायस बपु धरि हरि संगा। देखउँ बालचरित बहु रंगा॥
सुख मुद मंगल कुमुद बिधु सुगुन सरोरुह भानु।
गिरा अरथ जल बीचि सम कहिअत भिन्न न भिन्न।
गिरा अरथ जल बीचि सम कहिअत भिन्न न भिन्न।
श्रीवामन भगवान् की कथा एवं वामन द्वादशी का व्रत विधान (१/२)
श्रीवामन भगवान् की कथा एवं वामन द्वादशी व्रत विधान (२/२)
हरि प्रेरित तेहि अवसर चले मरुत उनचास।
महादेव
अनंत चतुर्दशी पर्व का माहात्म्य, रहस्य एवं अनन्तसूत्र बांधने का मंत्र व व्रत-विधान (१/२)
अनंत चतुर्दशी पर्व का माहात्म्य, रहस्य एवं अनन्तसूत्र बांधने का मंत्र और व्रत-विधान (२/२)
महादेव
पितरों के लिए पिंडदान
जीव की सद्गति हेतु और्ध्वदैहिक श्राद्ध संस्कार
पितृपक्ष में श्राद्ध करने का शास्त्रोक्त नियम एवं माहात्म्य (कल्याण वृतपर्वोत्सव अंक से साभार) (२/४)
पितृपक्ष में श्राद्ध एवं पिंडदान करने का शास्त्रोक्त नियम एवं माहात्म्य (१/४)
तरुन अरुन अंबुज सम चरना। नख दुति भगत हृदय तम हरना॥
गिरा अरथ जल बीचि सम कहिअत भिन्न न भिन्न।
नारायण