तस्मै नमो व्रजजनैः सह चक्रेऽऽत्मनाऽऽत्मने ।
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सखा नीति तुम्ह नीकि बिचारी। मम पन सरनागत भयहारी॥
अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते।
सकृदेव प्रपन्नाय तवास्मीति च याचते ।
तस्मान्मच्छरणं गोष्ठं मन्नाथं मत्परिग्रहम्।
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला।
डिगत पानि डिगुलात गिरि लखि सब ब्रज बेहाल।
रामहि केवल प्रेमु पिआरा। जानि लेउ जो जान निहारा॥
गर्ग निरुपि कह्यौ सब लच्छन, अविगत हैं अविनासी।
सुर बानर देखे बिकल हँस्यो कोसलाधीस।
निसिचर हीन करउँ महि भुज उठाइ पन कीन्ह।
नारदपुराण में वर्णित विभिन्न मंत्रों द्वारा श्रीहनुमानजी की उपासना एवं उनका दर्शन प्राप्त करने की मंत्र-साधना, दीपदान की विधि (२/२)-
नारदपुराण में वर्णित विभीन्न मंत्रों द्वारा श्रीहनुमानजी की उपासना एवं उनका दर्शन प्राप्त करने की मंत्र-साधना, दीपदान की विधि (१/१)-
साङ्केत्यं पारिहास्यं वा स्तोभं हेलनमेव वा ।
— Vyas (@da_vyas)
भाई दूज (यमद्वितीया)
धर्मराज नमस्तुभ्यं नमस्ते यमुनाग्रज।
भाईदूज
कृष्णवामांसभूतायै कृष्णायै सततं नमः।
यमुना मैया
— Vyas (@da_vyas)
छठ पर्व का विधान
हे देवर्षि! मै न तो वैकुण्ठ मे और न ही योगीजनो के ह्रदय मे मेरा निवास होता है। मै तो उन भक्तो के पास सदैव रहता हूँ जहाँ मेरे भक्त चित्त व तन्मय होकर मुझको भजते है व मेरे मधुर नामो का संकीर्तन करते है।
दशावतार स्तोत्र
नाहं वसामि वैकुंठे योगिनां हृदये न च।
सेष सहस्रसीस जग कारन। जो अवतरेउ भूमि भय टारन॥
रेवतीरमण त्वं वै बलदेवोऽच्युताग्रज ।
रोहिणीनन्दन अच्युताग्रज श्री बलरामजी (२/२)
भगवान् का प्रादुर्भाव महोत्सव, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (४/४)
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का विधान (३/४)
पूर्णपरात्पर भगवान् श्रीकृष्ण का आविर्भाव (२/४)
श्री कृष्णा जन्माष्टमी विशेष
पूर्णपरात्पर भगवान् श्रीकृष्ण का आविर्भाव, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का विधान एवं पूज्य भाइजी श्रीहनुमान प्रसाद पोद्दार जी के विचार (१/४)
यदा युवां प्रीतियुतौ च दम्पती
भगवती श्री राधा महारानी एवं उद्धव जी का संवाद- (1/2)
ऊधौ ! तुम भए बौरे, पाती लैके आए दौरे,
श्री उद्धव राधा संवाद