Shri Raghunath ji

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नारदपुराण में वर्णित विभिन्न मंत्रों द्वारा श्रीहनुमानजी की उपासना एवं उनका दर्शन प्राप्त करने की मंत्र-साधना, दीपदान की विधि (२/२)-
नारदपुराण में वर्णित विभिन्न मंत्रों द्वारा श्रीहनुमानजी की उपासना एवं उनका दर्शन प्राप्त करने की मंत्र-साधना, दीपदान की विधि (२/२)-
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नारदपुराण में वर्णित विभिन्न मंत्रों द्वारा श्रीहनुमानजी की उपासना एवं उनका दर्शन प्राप्त करने की मंत्र-साधना, दीपदान की विधि (२/२)-
जो गौतम मुनिकी स्त्री अहल्याको शापसे मुक्त करनेवाले, विश्वामित्रके यज्ञकी रक्षा करनेमें बड़े चतुर और अपने भक्तोंका पक्ष करनेवाले है तथा राजा जनककी सभामें शिवजी का धनुष तोड़कर महान् तेजस्वी एवं क्रोधी परशुरामजीके गर्व को हरण करनेवाले हैं ॥
जो गौतम मुनिकी स्त्री अहल्याको शापसे मुक्त करनेवाले, विश्वामित्रके यज्ञकी रक्षा करनेमें बड़े चतुर और अपने भक्तोंका पक्ष करनेवाले है तथा राजा जनककी सभामें शिवजी का धनुष तोड़कर महान् तेजस्वी एवं क्रोधी परशुरामजीके गर्व को हरण करनेवाले हैं ॥
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जो गौतम मुनिकी स्त्री अहल्याको शापसे मुक्त करनेवाले, विश्वामित्रके यज्ञकी रक्षा करनेमें बड़े चतुर और अपने भक्तोंका पक्ष करनेवाले है तथा राजा जनककी सभामें शिवजी का धनुष तोड़कर महान् तेजस्वी एवं क्रोधी परशुरामजीके गर्व को हरण करनेवाले हैं ॥
सुग्रीवजी ने कहा- हे रघुवीर! सुनिए। सोच छोड़ दीजिए और मन में धीरज लाइए। मैं सब प्रकार से आपकी सेवा करूँगा, जिस उपाय से जानकी जी आकर आपको मिलें॥
सुग्रीवजी ने कहा- हे रघुवीर! सुनिए। सोच छोड़ दीजिए और मन में धीरज लाइए। मैं सब प्रकार से आपकी सेवा करूँगा, जिस उपाय से जानकी जी आकर आपको मिलें॥
सखा सुग्रीव
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सुग्रीवजी ने कहा- हे रघुवीर! सुनिए। सोच छोड़ दीजिए और मन में धीरज लाइए। मैं सब प्रकार से आपकी सेवा करूँगा, जिस उपाय से जानकी जी आकर आपको मिलें॥