Shri Raghunath ji

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सीताजी कहती है, हा ईश्वर । तुमने यह क्या किया और क्या करनेका विचार है? चाहे जो हो, मैं रामको छोड़कर दूसरे किसीको नहीं वरूंगी। यदि मेरे पिता मुझे दूसरे किसी को देंगे तो मैं महलपर से गिरकर अवधा विष आदिके द्वारा शीघ्र प्राण त्याग दूंगी। (आनंद रामायण)
सीताजी कहती है, हा ईश्वर । तुमने यह क्या किया और क्या करनेका विचार है? चाहे जो हो, मैं रामको छोड़कर दूसरे किसीको नहीं वरूंगी। यदि मेरे पिता मुझे दूसरे किसी को देंगे तो मैं महलपर से गिरकर अवधा विष आदिके द्वारा शीघ्र प्राण त्याग दूंगी। (आनंद रामायण)
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सीताजी कहती है, हा ईश्वर । तुमने यह क्या किया और क्या करनेका विचार है? चाहे जो हो, मैं रामको छोड़कर दूसरे किसीको नहीं वरूंगी। यदि मेरे पिता मुझे दूसरे किसी को देंगे तो मैं महलपर से गिरकर अवधा विष आदिके द्वारा शीघ्र प्राण त्याग दूंगी। (आनंद रामायण)