Shri Raghunath ji

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जब पाहन भे बनबाहन से, उतरे बनरा, 'जय राम' रढ़ें। तुलसी लिएँ सैल-सिला सब सोहत, सागरु ज्यों बल बारि बढ़ें॥
जब पाहन भे बनबाहन से, उतरे बनरा, 'जय राम' रढ़ें। तुलसी लिएँ सैल-सिला सब सोहत, सागरु ज्यों बल बारि बढ़ें॥
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जब पाहन भे बनबाहन से, उतरे बनरा, 'जय राम' रढ़ें। तुलसी लिएँ सैल-सिला सब सोहत, सागरु ज्यों बल बारि बढ़ें॥
श्रुति सेतु पालक राम तुम्ह जगदीस माया जानकी। जो सृजति जगु पालति हरति रुख पाइ कृपानिधान की॥
श्रुति सेतु पालक राम तुम्ह जगदीस माया जानकी। जो सृजति जगु पालति हरति रुख पाइ कृपानिधान की॥
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श्रुति सेतु पालक राम तुम्ह जगदीस माया जानकी। जो सृजति जगु पालति हरति रुख पाइ कृपानिधान की॥