Shri Raghunath ji

510 bookmarks
Newest
अघटित-घटन, सुघट-बिघटन, ऐसी बिरुदावलि नहिं आनकी। सुमिरत संकट-सोच-बिमोचन, मूरति मोद-निधानकी ॥
अघटित-घटन, सुघट-बिघटन, ऐसी बिरुदावलि नहिं आनकी। सुमिरत संकट-सोच-बिमोचन, मूरति मोद-निधानकी ॥
·x.com·
अघटित-घटन, सुघट-बिघटन, ऐसी बिरुदावलि नहिं आनकी। सुमिरत संकट-सोच-बिमोचन, मूरति मोद-निधानकी ॥
श्रीभगवान्‌ का कथन है की, राम, दाशरथि, शूर, लक्ष्मणानुचर, बली, काकुत्स्थ, पुरुष, पूर्ण, कौसल्येय, रघूत्तम, वेदान्तवेद्य, यज्ञेश, पुरुषोत्तम, जानकीवल्लभ, श्रीमान्, अप्रमेयपराक्रम, इन नामों का नित्यप्रति श्रद्धापूर्वक जप करने से मेरा भक्त अश्वमेध यज्ञ से अधिक फल प्राप्त करता है॥
श्रीभगवान्‌ का कथन है की, राम, दाशरथि, शूर, लक्ष्मणानुचर, बली, काकुत्स्थ, पुरुष, पूर्ण, कौसल्येय, रघूत्तम, वेदान्तवेद्य, यज्ञेश, पुरुषोत्तम, जानकीवल्लभ, श्रीमान्, अप्रमेयपराक्रम, इन नामों का नित्यप्रति श्रद्धापूर्वक जप करने से मेरा भक्त अश्वमेध यज्ञ से अधिक फल प्राप्त करता है॥
·x.com·
श्रीभगवान्‌ का कथन है की, राम, दाशरथि, शूर, लक्ष्मणानुचर, बली, काकुत्स्थ, पुरुष, पूर्ण, कौसल्येय, रघूत्तम, वेदान्तवेद्य, यज्ञेश, पुरुषोत्तम, जानकीवल्लभ, श्रीमान्, अप्रमेयपराक्रम, इन नामों का नित्यप्रति श्रद्धापूर्वक जप करने से मेरा भक्त अश्वमेध यज्ञ से अधिक फल प्राप्त करता है॥