पूरकनाम राम सुख रासी। मनुजचरित कर अज अबिनासी॥भगवान श्रीराम के ४८ चरण चिन्ह-Shri Raghunath ji·x.com·Dec 3, 2024पूरकनाम राम सुख रासी। मनुजचरित कर अज अबिनासी॥
रघुबर बिकल बिहंग लखि सो बिलोकि दोउ बीर।Aranya Kand·x.com·Dec 3, 2024रघुबर बिकल बिहंग लखि सो बिलोकि दोउ बीर।
गीध देह तजि धरि हरि रूपा। भूषन बहु पट पीत अनूपा॥Aranya Kand·x.com·Dec 3, 2024गीध देह तजि धरि हरि रूपा। भूषन बहु पट पीत अनूपा॥
जल भरि नयन कहहिं रघुराई। तात कर्म निज तें गति पाई॥Aranya Kand·x.com·Dec 3, 2024जल भरि नयन कहहिं रघुराई। तात कर्म निज तें गति पाई॥
पूरकनाम राम सुख रासी। मनुजचरित कर अज अबिनासी॥Aranya Kand·x.com·Dec 3, 2024पूरकनाम राम सुख रासी। मनुजचरित कर अज अबिनासी॥
जाकर नाम मरत मुख आवा। अधमउ मुकुत होइ श्रुति गावा॥Aranya Kand·x.com·Dec 3, 2024जाकर नाम मरत मुख आवा। अधमउ मुकुत होइ श्रुति गावा॥
जामवंत कह सुनु रघुराया। जा पर नाथ करहु तुम्ह दाया॥SundarKand·x.com·Dec 3, 2024जामवंत कह सुनु रघुराया। जा पर नाथ करहु तुम्ह दाया॥
सहित सहाय रावनहि मारी। आनउँ इहाँ त्रिकूट उपारी॥Shri Hanumanji·x.com·Dec 3, 2024सहित सहाय रावनहि मारी। आनउँ इहाँ त्रिकूट उपारी॥
भगवान् विष्णु के अत्यंत प्रेम-लपेटे अटपटे वचन सुनकर शंकरजी मन-ही-मन मुसकराने लगे और बोले, हे नारायण ! यह आप क्या कह रहे हैं? आपसे बढ़कर मुझे और कोई प्रिय हो सकता है? औरोंकी तो बात ही क्या, पार्वती भी मुझे आपके समान प्रिय नहीं है।Articles·x.com·Dec 3, 2024भगवान् विष्णु के अत्यंत प्रेम-लपेटे अटपटे वचन सुनकर शंकरजी मन-ही-मन मुसकराने लगे और बोले, हे नारायण ! यह आप क्या कह रहे हैं? आपसे बढ़कर मुझे और कोई प्रिय हो सकता है? औरोंकी तो बात ही क्या, पार्वती भी मुझे आपके समान प्रिय नहीं है।
न त्वया सदृशो मह्यं प्रियोऽस्ति भगवन् हरे ।Narayan·x.com·Dec 3, 2024न त्वया सदृशो मह्यं प्रियोऽस्ति भगवन् हरे ।
इमं विवस्वते योगं प्रोक्तवानहमव्ययम् ।Narayan·x.com·Dec 3, 2024इमं विवस्वते योगं प्रोक्तवानहमव्ययम् ।
जासु नाम सुमिरत एक बारा। उतरहिं नर भवसिंधु अपारा॥Narayan·x.com·Dec 3, 2024जासु नाम सुमिरत एक बारा। उतरहिं नर भवसिंधु अपारा॥
सुनहु तात यह अकथ कहानी। समुझत बनइ न जाइ बखानी॥Uttarkand·x.com·Dec 3, 2024सुनहु तात यह अकथ कहानी। समुझत बनइ न जाइ बखानी॥
एतदत्स्यसि मद्धस्तान्न त्वां बाधिष्यते शुभे ।Shri Sita Ji·x.com·Dec 3, 2024एतदत्स्यसि मद्धस्तान्न त्वां बाधिष्यते शुभे ।
स्याम घन दिब्य तन पीत पट दामिनी, इंद्र-धनु मोर कौ मुकुट सोहै।Baal Madhuri·x.com·Dec 3, 2024स्याम घन दिब्य तन पीत पट दामिनी, इंद्र-धनु मोर कौ मुकुट सोहै।
नित्यानन्दं परमसुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिं द्वन्द्वातीतं गगनसदृशं तत्त्वमस्यादिलक्ष्यम्।Guru Maharaj·x.com·Dec 3, 2024नित्यानन्दं परमसुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिं द्वन्द्वातीतं गगनसदृशं तत्त्वमस्यादिलक्ष्यम्।
One who could not be bounded by Tapasvi Rishis can only be bounded by love. Shri Damodar.Bhagwan ke Bhakt·x.com·Dec 3, 2024One who could not be bounded by Tapasvi Rishis can only be bounded by love. Shri Damodar.
नवधा भगति कहउँ तोहि पाहीं। सावधान सुनु धरु मन माहीं।।Aranya Kand·x.com·Dec 3, 2024नवधा भगति कहउँ तोहि पाहीं। सावधान सुनु धरु मन माहीं।।
देखी माया सब विधि गाढ़ी । अति सभीत जोरें कर ठाढ़ी ||Various·x.com·Dec 3, 2024देखी माया सब विधि गाढ़ी । अति सभीत जोरें कर ठाढ़ी ||
यस्मिन् न चलते धर्मो यो धर्मं नातिवर्तते ।SundarKand·x.com·Dec 3, 2024यस्मिन् न चलते धर्मो यो धर्मं नातिवर्तते ।
अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते।Baal Madhuri·x.com·Dec 3, 2024अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते।
पद्मानने पद्मविपद्मपत्रे पद्मप्रिये पद्मदलायताक्षि।Bhagwati lakshmi·x.com·Dec 3, 2024पद्मानने पद्मविपद्मपत्रे पद्मप्रिये पद्मदलायताक्षि।
पञ्चमी दण्डनाथा च संकेता समयेश्वरी।Bhagwati lakshmi·x.com·Dec 3, 2024पञ्चमी दण्डनाथा च संकेता समयेश्वरी।
जब रघुनाथ समर रिपु जीते। सुर नर मुनि सब के भय बीते॥Lanka kand·x.com·Dec 3, 2024जब रघुनाथ समर रिपु जीते। सुर नर मुनि सब के भय बीते॥
सुपर्णस्कन्धमारूढो मेरुशृंगमिवाम्बुदः।Narayan·x.com·Dec 3, 2024सुपर्णस्कन्धमारूढो मेरुशृंगमिवाम्बुदः।
भगवान् श्री रामचन्द्र जी के विवाह प्रसंग की २ चौपाइयों का अर्थ-Vivaah Prasang·x.com·Dec 3, 2024भगवान् श्री रामचन्द्र जी के विवाह प्रसंग की २ चौपाइयों का अर्थ-