ता कहुँ प्रभु कछु अगम नहिं जा पर तुम्ह अनुकूल।Shri Hanumanji·x.com·Nov 29, 2024ता कहुँ प्रभु कछु अगम नहिं जा पर तुम्ह अनुकूल।
तरुन अरुन अंबुज सम चरना। नख दुति भगत हृदय तम हरना॥Mahadev Shankar·x.com·Nov 29, 2024तरुन अरुन अंबुज सम चरना। नख दुति भगत हृदय तम हरना॥
मध्ये सुधाब्धिमणिमण्डपरत्नवेद्यां सिंहासनोपरिगतां परिपीतवर्णाम्।Bhagwati·x.com·Nov 29, 2024मध्ये सुधाब्धिमणिमण्डपरत्नवेद्यां सिंहासनोपरिगतां परिपीतवर्णाम्।
वेदों के प्रतिपाद्य- पञ्चमहायज्ञ (Thread)Articles·x.com·Nov 29, 2024वेदों के प्रतिपाद्य- पञ्चमहायज्ञ (Thread)
जौं नहिं फिरहिं धीर दोउ भाई। सत्यसंध दृढ़ब्रत रघुराई॥Ayodhya Kand·x.com·Nov 29, 2024जौं नहिं फिरहिं धीर दोउ भाई। सत्यसंध दृढ़ब्रत रघुराई॥
आजु धन्य मैं सुनहु मुनीसा। तुम्हरें दरस जाहिं अघ खीसा॥Uttarkand·x.com·Nov 29, 2024आजु धन्य मैं सुनहु मुनीसा। तुम्हरें दरस जाहिं अघ खीसा॥
जो अपराधु भगत कर करई। राम रोष पावक सो जरई॥Bhagwan ke Bhakt·x.com·Nov 29, 2024जो अपराधु भगत कर करई। राम रोष पावक सो जरई॥
मोहमूल बहु सूल प्रद त्यागहु तम अभिमान।Shri Hanumanji·x.com·Nov 29, 2024मोहमूल बहु सूल प्रद त्यागहु तम अभिमान।
बहु प्रकार सीतहि समुझाएहु। कहि बल बिरह बेगि तुम्ह आएहु॥SundarKand·x.com·Nov 29, 2024बहु प्रकार सीतहि समुझाएहु। कहि बल बिरह बेगि तुम्ह आएहु॥
जेहिं गिरि चरन देइ हनुमंता। चलेउ सो गा पाताल तुरंता॥SundarKand·x.com·Nov 29, 2024जेहिं गिरि चरन देइ हनुमंता। चलेउ सो गा पाताल तुरंता॥
हिमगिरि कोटि अचल रघुबीरा। सिंधु कोटि सत सम गंभीरा॥Uttarkand·x.com·Nov 29, 2024हिमगिरि कोटि अचल रघुबीरा। सिंधु कोटि सत सम गंभीरा॥
अंगद अरु हनुमंत प्रबेसा। कीन्ह दुर्ग अस कह अवधेसा॥Shri Hanumanji·x.com·Nov 29, 2024अंगद अरु हनुमंत प्रबेसा। कीन्ह दुर्ग अस कह अवधेसा॥
भगवान् श्रीकृष्ण का श्रीउद्धव जी को उपदेश (१/२)Shri Krishna·x.com·Nov 29, 2024भगवान् श्रीकृष्ण का श्रीउद्धव जी को उपदेश (१/२)
हनूमान सम नहिं बड़भागी। नहिं कोउ राम चरन अनुरागी॥Uttarkand·x.com·Nov 29, 2024हनूमान सम नहिं बड़भागी। नहिं कोउ राम चरन अनुरागी॥
जाकी सहज स्वास श्रुति चारी। सो हरि पढ़ यह कौतुक भारी॥Baal Madhuri·x.com·Nov 29, 2024जाकी सहज स्वास श्रुति चारी। सो हरि पढ़ यह कौतुक भारी॥
प्रबल प्रेम के पाले पड़ कर प्रभु को नियम बदलते देखा।Shri Krishna·x.com·Nov 29, 2024प्रबल प्रेम के पाले पड़ कर प्रभु को नियम बदलते देखा।
जय सच्चिदानंद जग पावन। अस कहि चलेउ मनोज नसावन॥Mahadev Shankar·x.com·Nov 29, 2024जय सच्चिदानंद जग पावन। अस कहि चलेउ मनोज नसावन॥
अघटित-घटन, सुघट-बिघटन, ऐसी बिरुदावलि नहिं आनकी। सुमिरत संकट-सोच-बिमोचन, मूरति मोद-निधानकी ॥Shri Hanumanji·x.com·Nov 29, 2024अघटित-घटन, सुघट-बिघटन, ऐसी बिरुदावलि नहिं आनकी। सुमिरत संकट-सोच-बिमोचन, मूरति मोद-निधानकी ॥
सुनु गिरिजा हरिचरित सुहाए। बिपुल बिसद निगमागम गाए॥Narayan·x.com·Nov 29, 2024सुनु गिरिजा हरिचरित सुहाए। बिपुल बिसद निगमागम गाए॥
गुर पितु मातु महेस भवानी। प्रनवउँ दीनबंधु दिन दानी॥Mahadev Shankar·x.com·Nov 29, 2024गुर पितु मातु महेस भवानी। प्रनवउँ दीनबंधु दिन दानी॥
करि प्रनाम रामहि त्रिपुरारी। हरषि सुधा सम गिरा उचारी॥Mahadev Shankar·x.com·Nov 29, 2024करि प्रनाम रामहि त्रिपुरारी। हरषि सुधा सम गिरा उचारी॥
निज पानि मनि महुँ देखि अति मूरति सुरूपनिधान की।Vivaah Prasang·x.com·Nov 29, 2024निज पानि मनि महुँ देखि अति मूरति सुरूपनिधान की।
जय जय गिरिवर राज किशोरी। जय महेश मुख चन्द चकोरी।Bhagwati·x.com·Nov 29, 2024जय जय गिरिवर राज किशोरी। जय महेश मुख चन्द चकोरी।
रुद्राक्ष की उत्पत्ति की कथा, धारण विधि एवं माहात्म्य-Articles·x.com·Nov 29, 2024रुद्राक्ष की उत्पत्ति की कथा, धारण विधि एवं माहात्म्य-