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आप समरूप, ब्रह्म, अविनाशी, नित्य, एकरस, स्वभाव से ही उदासीन (शत्रु-मित्र-भावरहित), अखंड, निर्गुण (मायिक गुणों से रहित), अजन्मे, निष्पाप, निर्विकार, अजेय, अमोघशक्ति (जिनकी शक्ति कभी व्यर्थ नहीं जाती) और दयामय हैं॥
आप समरूप, ब्रह्म, अविनाशी, नित्य, एकरस, स्वभाव से ही उदासीन (शत्रु-मित्र-भावरहित), अखंड, निर्गुण (मायिक गुणों से रहित), अजन्मे, निष्पाप, निर्विकार, अजेय, अमोघशक्ति (जिनकी शक्ति कभी व्यर्थ नहीं जाती) और दयामय हैं॥
भगवान् श्री राम का वास्तविक स्वरूप और उनकी भक्ति
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आप समरूप, ब्रह्म, अविनाशी, नित्य, एकरस, स्वभाव से ही उदासीन (शत्रु-मित्र-भावरहित), अखंड, निर्गुण (मायिक गुणों से रहित), अजन्मे, निष्पाप, निर्विकार, अजेय, अमोघशक्ति (जिनकी शक्ति कभी व्यर्थ नहीं जाती) और दयामय हैं॥
हे नाथ! हे नरवरोत्तम! हे दयालु सीतापते!आप कहाँ है,मेरी दशापर दृष्टिपात करे,प्रभो! आपका मुख स्वभावसे ही शोभासम्पन्न है उसपर भी सुन्दर कुण्डलो के कारणतो उसकी सुषमा औरभी बढ़ गयीहै।आप भक्तों की पीडाका नाश करनेवालेहै।हे मनोहर रूप धारण करनेवाले दयामय!मुझे इस बन्धनसे शीघ्र मुक्त कीजिये।
हे नाथ! हे नरवरोत्तम! हे दयालु सीतापते!आप कहाँ है,मेरी दशापर दृष्टिपात करे,प्रभो! आपका मुख स्वभावसे ही शोभासम्पन्न है उसपर भी सुन्दर कुण्डलो के कारणतो उसकी सुषमा औरभी बढ़ गयीहै।आप भक्तों की पीडाका नाश करनेवालेहै।हे मनोहर रूप धारण करनेवाले दयामय!मुझे इस बन्धनसे शीघ्र मुक्त कीजिये।
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हे नाथ! हे नरवरोत्तम! हे दयालु सीतापते!आप कहाँ है,मेरी दशापर दृष्टिपात करे,प्रभो! आपका मुख स्वभावसे ही शोभासम्पन्न है उसपर भी सुन्दर कुण्डलो के कारणतो उसकी सुषमा औरभी बढ़ गयीहै।आप भक्तों की पीडाका नाश करनेवालेहै।हे मनोहर रूप धारण करनेवाले दयामय!मुझे इस बन्धनसे शीघ्र मुक्त कीजिये।
जयति राज-राजेंद्र राजीवलोचन, राम, नाम कलि- कामतरु, साम-शाली। अनय-अंभोधि-कुंभज, निशाचर- निकर- तिमिर- घनघोर खरकिरणमाली।
जयति राज-राजेंद्र राजीवलोचन, राम, नाम कलि- कामतरु, साम-शाली। अनय-अंभोधि-कुंभज, निशाचर- निकर- तिमिर- घनघोर खरकिरणमाली।
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जयति राज-राजेंद्र राजीवलोचन, राम, नाम कलि- कामतरु, साम-शाली। अनय-अंभोधि-कुंभज, निशाचर- निकर- तिमिर- घनघोर खरकिरणमाली।