जौं मन बच क्रम मम उर माहीं। तजि रघुबीर आन गति नाहीं॥
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गिरा अरथ जल बीचि सम कहिअत भिन्न न भिन्न।
जा पर कृपा राम की होई, ता पर कृपा करहिं सब कोई।
सुकला पर कृपा
महि मंडल मंडन चारुतरं। धृत सायक चाप निषंग बरं।
देखि अजय रिपु डरपे कीसा। परम क्रुद्ध तब भयउ अहीसा॥
अति बल मधु कैटभ जेहिं मारे। महाबीर दितिसुत संघारे॥
भुजदंड प्रचंड प्रताप बलम। खल वृंद निकंद महा कुशलम॥
रमावल्लभ
संभवामि युगे युगे
बिस्व द्रोह रत यह खल कामी। निज अघ गयउ कुमारगगामी॥
स्कन्दपुराण में वर्णित दीपावली के शुभ दिनों में धन धान्य समृद्धि एवं गोलोक देने वाले गोत्रिरात्र व्रत करने की विधि-
राम कपिन्ह जब आवत देखा। किएँ काजु मन हरष बिसेषा॥
सिर लंगूर लपेटि पछारा। निज तनु प्रगटेसि मरती बारा॥
नरक चतुर्दशी की कथा एवं विधान
श्री हनुमानजी के सीना चीरने की कथा भी कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी से संबंधित है(२/२)
हनूमान सम नहिं बड़भागी। नहिं कोउ राम चरन अनुरागी॥
हनुमानजी का सीना चीरना
श्री हनुमानजी के सीना चीरने की कथा भी कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी से संबंधित है(२/२)
मोर दास कहाइ नर आसा। करइ तौ कहहु कहा बिस्वासा॥
चढ़ि बिमान सुनु सखा बिभीषन। गगन जाइ बरषहु पट भूषन॥
तुम्ह मम सखा भरत सम भ्राता। सदा रहेहु पुर आवत जाता॥
ऐश्वर्यकी अधिष्ठात्री भगवती लक्ष्मीका समाराधनपर्व दीपावली महोत्सव (२/३)
ऐश्वर्यकी अधिष्ठात्री देवी भगवती श्रीलक्ष्मीका समाराधनपर्व दीपावली महोत्सव एवं विभिन्न कथाएं (१/३)
आवत देखि लोग सब कृपासिंधु भगवान।
विधिवल्लभा
भगवान् शिव (अवधूतेश्वरावतार) की कथा (२/२)
भगवान् शिव (अवधूतेश्वरावतार) की कथा (१/२)
नारायण
गोविन्दं गोकुलानन्दं गोपालं गोपिवल्लभम्।
अन्नकूट महोत्सव एवं गोवर्धन पूजा का रहस्य (१/२)
अन्नकूट महोत्सव एवं गोवर्धन पूजा का रहस्य (२/२)