कपिसों कहति सुभाय, अंबके अंबक अंबु भरे हैं। रघुनंदन बिनु बंधु कुअवसर, जद्यपि धनु दुसरे हैं॥
Shri Raghunath ji
राम बाम दिसि जानकी, लखन दाहिनी ओर ।
राम बाम दिसि जानकी, लखन दाहिनी ओर।
भारत के कुछ अत्यंत दुर्लभ प्रमुख हनुमान मंदिरों की सूची और संक्षिप्त कथाएं- (1/2)
महिमा नाम रूप गुन गाथा। सकल अमित अनंत रघुनाथा॥
जो एक बार भी मेरे शरण होकर यह कह देता है कि मैं तेरा हूँ, उसको मैं सर्वभूतों से अभय कर देता हूँ, यह मेरा व्रत है।
जगतामादिभूतस्त्वं जगत्त्वं जगदाश्रयः।
जम्बुद्विपे..भरत खंडे..आर्यावर्ते..भारतवर्षे..
लवकुश
एक अनीह अरूप अनामा। अज सच्चिदानंद पर धामा॥
कौसल्या जब बोलन जाई। ठुमुकु ठुमुकु प्रभु चलहिं पराई॥
लछिमन समुझाए बहु भाँति। पूछत चले लता तरु पाँती॥
पंचबटी बट बिटप तर सीता लखन समेत।
तुलसी सहित सनेह नित सुमिरहु सीता राम।
नमो वेदादिरूपाय ओङ्काराय नमो नमः ।
अस्मत्प्रसादसुमुखः कलया कलेश इक्ष्वाकुवंश अवतीर्य गुरोर्निदेशे।
अमर अनंदित मुनि मुदित मुदित भुवन दस चारि ।
सुनु हनुमंत संग लै तारा। करि बिनती समुझाउ कुमारा॥
धनुष चढ़ाइ कहा तब जारि करउँ पुर छार। ब्याकुल नगर देखि तब आयउ बालिकुमार॥
सहसभुज-मत्तगजराज-रनकेसरी परसुधर गर्बु जेहि देखि बीता॥
रिपु सम मोहि मारेसि अति भारी। हरि लीन्हसि सर्बसु अरु नारी॥
आगें चले बहुरि रघुराया। रिष्यमूक पर्बत निअराया॥
सेवक सठ नृप कृपन कुनारी। कपटी मित्र सूल सम चारी॥
बहुरि राम छबिधाम बिलोकी। रहेउ ठटुकि एकटक पल रोकी॥
असंदेशात्तु रामस्य तपसश्चानुपालनात् ।
शक्या लोभयितुं नाहमैश्वर्येण धनेन वा।
भवान् नारायणो देवः श्रीमांश्चक्रायुधः प्रभुः।
तेहिं गिरि रुचिर बसइ खग सोई तासु नास कल्पांत न होई॥
सुनहु राम कर सहज सुभाऊ। जन अभिमान न राखहिं काऊ॥
माथे हाथ ऋषि जब दियो राम किलकन लागे।
कीन्ह दंडवत तीनिउँ भाई। सहित पवनसुत सुख अधिकाई॥
मानस में प्रेमतत्व