Shri Raghunath ji

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कपिसों कहति सुभाय, अंबके अंबक अंबु भरे हैं। रघुनंदन बिनु बंधु कुअवसर, जद्यपि धनु दुसरे हैं॥
कपिसों कहति सुभाय, अंबके अंबक अंबु भरे हैं। रघुनंदन बिनु बंधु कुअवसर, जद्यपि धनु दुसरे हैं॥
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कपिसों कहति सुभाय, अंबके अंबक अंबु भरे हैं। रघुनंदन बिनु बंधु कुअवसर, जद्यपि धनु दुसरे हैं॥
जो एक बार भी मेरे शरण होकर यह कह देता है कि मैं तेरा हूँ, उसको मैं सर्वभूतों से अभय कर देता हूँ, यह मेरा व्रत है।
जो एक बार भी मेरे शरण होकर यह कह देता है कि मैं तेरा हूँ, उसको मैं सर्वभूतों से अभय कर देता हूँ, यह मेरा व्रत है।
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जो एक बार भी मेरे शरण होकर यह कह देता है कि मैं तेरा हूँ, उसको मैं सर्वभूतों से अभय कर देता हूँ, यह मेरा व्रत है।