बुद्धि विवेक विज्ञान निधानाभगवान् श्रीराम द्वारा श्रीहनुमानजी का गर्व भंगShri Hanumanji·x.com·Dec 3, 2024बुद्धि विवेक विज्ञान निधाना
जामवंत कह सुनु रघुराया। जा पर नाथ करहु तुम्ह दाया॥SundarKand·x.com·Dec 3, 2024जामवंत कह सुनु रघुराया। जा पर नाथ करहु तुम्ह दाया॥
नाथ सुहृद सुठि सरल चित सील सनेह निधान।Baal Kand·x.com·Dec 3, 2024नाथ सुहृद सुठि सरल चित सील सनेह निधान।
जाकी सहज स्वास श्रुति चारी। सो हरि पढ़ यह कौतुक भारी॥Baal Kand·x.com·Dec 3, 2024जाकी सहज स्वास श्रुति चारी। सो हरि पढ़ यह कौतुक भारी॥
गुरगृहँ गए पढ़न रघुराई। अलप काल बिद्या सब आई॥Baal Kand·x.com·Dec 3, 2024गुरगृहँ गए पढ़न रघुराई। अलप काल बिद्या सब आई॥
पवन तनय बल पवन समाना। बुधि बिबेक बिग्यान निधाना॥संकटमित्र हनुमानजीShri Hanumanji·x.com·Dec 3, 2024पवन तनय बल पवन समाना। बुधि बिबेक बिग्यान निधाना॥
जो नाघइ सत जोजन सागर। करइ सो राम काज मति आगर॥SundarKand·x.com·Dec 3, 2024जो नाघइ सत जोजन सागर। करइ सो राम काज मति आगर॥
प्रभु पद रेख बीच बिच सीता। धरति चरन मग चलति सभीता॥Aranya Kand·x.com·Dec 3, 2024प्रभु पद रेख बीच बिच सीता। धरति चरन मग चलति सभीता॥
प्रभु पहिचानि परेउ गहि चरना। सो सुख उमा जाइ नहिं बरना॥Kishkindha kand·x.com·Dec 3, 2024प्रभु पहिचानि परेउ गहि चरना। सो सुख उमा जाइ नहिं बरना॥
मोर न्याउ मैं पूछा साईं। तुम्ह पूछहु कस नर की नाईं॥Shri Hanumanji·x.com·Dec 3, 2024मोर न्याउ मैं पूछा साईं। तुम्ह पूछहु कस नर की नाईं॥
समदरसी मोहि कह सब कोऊ। सेवक प्रिय अनन्य गति सोऊ॥Shri Hanumanji·x.com·Dec 3, 2024समदरसी मोहि कह सब कोऊ। सेवक प्रिय अनन्य गति सोऊ॥
सुनु कपि जियँ मानसि जनि ऊना। तैं मम प्रिय लछिमन ते दूना॥दूने प्रिय क्यों?Shri Hanumanji·x.com·Dec 3, 2024सुनु कपि जियँ मानसि जनि ऊना। तैं मम प्रिय लछिमन ते दूना॥
तुम्ह समरूप ब्रह्म अबिनासी। सदा एकरस सहज उदासी॥भगवान् श्रीराम का वास्तविक स्वरूप एवं भक्ति लेख·x.com·Dec 3, 2024तुम्ह समरूप ब्रह्म अबिनासी। सदा एकरस सहज उदासी॥
जनकसुता जग जननि जानकी। अतिसय प्रिय करुनानिधान की॥श्री रामचरितमानस में शक्ति तत्व निरूपण- (१/२)Shri Sita Ji·x.com·Dec 3, 2024जनकसुता जग जननि जानकी। अतिसय प्रिय करुनानिधान की॥
बाम भाग सोभति अनुकूला। आदिसक्ति छबिनिधि जगमूला॥Shri Sita Ji·x.com·Dec 3, 2024बाम भाग सोभति अनुकूला। आदिसक्ति छबिनिधि जगमूला॥
संकट समाज असमंजस भो रामराज, काज जुग पूगनि को करतल पल भो।Shri Hanumanji·x.com·Dec 3, 2024संकट समाज असमंजस भो रामराज, काज जुग पूगनि को करतल पल भो।
जयति श्रीजानकी भानुकुल- भानुकी प्राणप्रियवल्लभे तरणि भूपे।Shri Sita Ji·x.com·Dec 3, 2024जयति श्रीजानकी भानुकुल- भानुकी प्राणप्रियवल्लभे तरणि भूपे।
शंकर सुवन केसरी नंदन, तेज प्रताप महा जग वंदन॥Shri Hanumanji·x.com·Dec 3, 2024शंकर सुवन केसरी नंदन, तेज प्रताप महा जग वंदन॥
साक्षाज्जगद्धेतुश्चिच्छक्तिर्जगदात्मिकाShri Sita Ji·x.com·Dec 3, 2024साक्षाज्जगद्धेतुश्चिच्छक्तिर्जगदात्मिका
देखा श्रमित बिभीषनु भारी। धायउ हनूमान गिरि धारी॥Shri Hanumanji·x.com·Dec 3, 2024देखा श्रमित बिभीषनु भारी। धायउ हनूमान गिरि धारी॥
सोहमस्मि इति बृत्ति अखंडा। दीप सिखा सोइ परम प्रचंडा॥·x.com·Dec 3, 2024सोहमस्मि इति बृत्ति अखंडा। दीप सिखा सोइ परम प्रचंडा॥
एष रामः परो विष्णुरादिनारायणः स्मृतः।Shri Sita Ji·x.com·Dec 3, 2024एष रामः परो विष्णुरादिनारायणः स्मृतः।
सब साधन कर सुफल सुहावा। लखन राम सिय दरसनु पावा॥Shri Bharat ji·x.com·Dec 3, 2024सब साधन कर सुफल सुहावा। लखन राम सिय दरसनु पावा॥
करम बचन मन छाड़ि छलु जब लगि जनु न तुम्हार।Ayodhya Kand·x.com·Dec 3, 2024करम बचन मन छाड़ि छलु जब लगि जनु न तुम्हार।
मारुत सुत मैं कपि हनुमाना। नामु मोर सुनु कृपानिधाना॥Lanka kand·x.com·Dec 3, 2024मारुत सुत मैं कपि हनुमाना। नामु मोर सुनु कृपानिधाना॥
चल्यो नभ नाइ माथ रघुनाथहि, सरिस न बेग बियो है॥Shri Bharat ji·x.com·Dec 3, 2024चल्यो नभ नाइ माथ रघुनाथहि, सरिस न बेग बियो है॥
गोस्वामी तुलसीदास जी कृत हनुमान जी का अचूक मंत्रात्मक काव्य हनुमान बाहुकShri Hanumanji·x.com·Dec 3, 2024गोस्वामी तुलसीदास जी कृत हनुमान जी का अचूक मंत्रात्मक काव्य हनुमान बाहुक
तुम्हरो मंत्र विभीषण माना, लंकेस्वर भए सब जग जाना॥तुम्हारो मंत्र विभीषण माना का अर्थShri Hanumanji·x.com·Dec 3, 2024तुम्हरो मंत्र विभीषण माना, लंकेस्वर भए सब जग जाना॥