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फिर ये चित्रकेतु शिवजी का व्यंग करते है तो पार्वतीजी क्रोधित होकर इनको राक्षस होने का श्राप दे देती है, और ये वृत्तासुर बन जाते है।
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फिर ये चित्रकेतु शिवजी का व्यंग करते है तो पार्वतीजी क्रोधित होकर इनको राक्षस होने का श्राप दे देती है, और ये वृत्तासुर बन जाते है।
वह भक्ति स्वतंत्र है, उसको (ज्ञान-विज्ञान आदि किसी) दूसरे साधन का सहारा (अपेक्षा) नहीं है। ज्ञान और विज्ञान तो उसके अधीन हैं। हे तात! भक्ति अनुपम एवं सुख की मूल है और वह तभी मिलती है, जब संत अनुकूल (प्रसन्न) होते हैं॥
वह भक्ति स्वतंत्र है, उसको (ज्ञान-विज्ञान आदि किसी) दूसरे साधन का सहारा (अपेक्षा) नहीं है। ज्ञान और विज्ञान तो उसके अधीन हैं। हे तात! भक्ति अनुपम एवं सुख की मूल है और वह तभी मिलती है, जब संत अनुकूल (प्रसन्न) होते हैं॥
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वह भक्ति स्वतंत्र है, उसको (ज्ञान-विज्ञान आदि किसी) दूसरे साधन का सहारा (अपेक्षा) नहीं है। ज्ञान और विज्ञान तो उसके अधीन हैं। हे तात! भक्ति अनुपम एवं सुख की मूल है और वह तभी मिलती है, जब संत अनुकूल (प्रसन्न) होते हैं॥
शिव पुराण में गणेश चतुर्थी का रहस्य, माहात्म्य एवं वर्षभर की चतुर्थीयों की संक्षिप्त कथाऐं एवं व्रत विधि (२/३)
शिव पुराण में गणेश चतुर्थी का रहस्य, माहात्म्य एवं वर्षभर की चतुर्थीयों की संक्षिप्त कथाऐं एवं व्रत विधि (२/३)
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शिव पुराण में गणेश चतुर्थी का रहस्य, माहात्म्य एवं वर्षभर की चतुर्थीयों की संक्षिप्त कथाऐं एवं व्रत विधि (२/३)
शिव पुराण में गणेश चतुर्थी का रहस्य, माहात्म्य एवं वर्षभर की चतुर्थियों की कथाएं एवं व्रत विधि (१/३)
शिव पुराण में गणेश चतुर्थी का रहस्य, माहात्म्य एवं वर्षभर की चतुर्थियों की कथाएं एवं व्रत विधि (१/३)
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शिव पुराण में गणेश चतुर्थी का रहस्य, माहात्म्य एवं वर्षभर की चतुर्थियों की कथाएं एवं व्रत विधि (१/३)
यद्यपि श्री रघुवीर समस्त लोकों के स्वामी हैं, पर उनका स्वभाव अत्यंत ही कोमल है। मिलते ही प्रभु आप पर कृपा करेंगे और आपका एक भी अपराध वे हृदय में नहीं रखेंगे॥
यद्यपि श्री रघुवीर समस्त लोकों के स्वामी हैं, पर उनका स्वभाव अत्यंत ही कोमल है। मिलते ही प्रभु आप पर कृपा करेंगे और आपका एक भी अपराध वे हृदय में नहीं रखेंगे॥
श्री रघुनाथ जी का सहज स्वभाव-
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यद्यपि श्री रघुवीर समस्त लोकों के स्वामी हैं, पर उनका स्वभाव अत्यंत ही कोमल है। मिलते ही प्रभु आप पर कृपा करेंगे और आपका एक भी अपराध वे हृदय में नहीं रखेंगे॥