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सनातन धर्म ही जगत्‌ की स्थिति का आधार है, क्योंकि यह सर्वव्यापक है, सार्वभौमिक है, उन सब धर्मों से पुराना है जिनको मनुष्य ने बनाया है। जो क्योंकि जो धर्मं जगत् का आधार है, निश्चित ही उसका जन्म जगत् की सृष्टि के समकालीन ही है, अनादि है।
सनातन धर्म ही जगत्‌ की स्थिति का आधार है, क्योंकि यह सर्वव्यापक है, सार्वभौमिक है, उन सब धर्मों से पुराना है जिनको मनुष्य ने बनाया है। जो क्योंकि जो धर्मं जगत् का आधार है, निश्चित ही उसका जन्म जगत् की सृष्टि के समकालीन ही है, अनादि है।
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सनातन धर्म ही जगत्‌ की स्थिति का आधार है, क्योंकि यह सर्वव्यापक है, सार्वभौमिक है, उन सब धर्मों से पुराना है जिनको मनुष्य ने बनाया है। जो क्योंकि जो धर्मं जगत् का आधार है, निश्चित ही उसका जन्म जगत् की सृष्टि के समकालीन ही है, अनादि है।
सिर जटा मुकुट प्रसून बिच बिच अति मनोहर राजहीं। जनु नीलगिरि पर तड़ित पटल समेत उडुगन भ्राजहीं॥
सिर जटा मुकुट प्रसून बिच बिच अति मनोहर राजहीं। जनु नीलगिरि पर तड़ित पटल समेत उडुगन भ्राजहीं॥
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सिर जटा मुकुट प्रसून बिच बिच अति मनोहर राजहीं। जनु नीलगिरि पर तड़ित पटल समेत उडुगन भ्राजहीं॥
पूर्णकाम, आनंद की राशि, अजन्मा और अविनाशी श्री रामजी मनुष्यों के चरित्र कर रहे हैं। आगे (जाने पर) उन्होंने गृध्रपति जटायु को पड़ा देखा। वह श्री रामचंद्रजी के चरणों का स्मरण कर रहा था, जिनमें (ध्वजा, कुलिश आदि की) रेखाएँ (चिह्न) हैं॥
पूर्णकाम, आनंद की राशि, अजन्मा और अविनाशी श्री रामजी मनुष्यों के चरित्र कर रहे हैं। आगे (जाने पर) उन्होंने गृध्रपति जटायु को पड़ा देखा। वह श्री रामचंद्रजी के चरणों का स्मरण कर रहा था, जिनमें (ध्वजा, कुलिश आदि की) रेखाएँ (चिह्न) हैं॥
भगवान श्रीराम के ४८ चरण चिन्ह-
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पूर्णकाम, आनंद की राशि, अजन्मा और अविनाशी श्री रामजी मनुष्यों के चरित्र कर रहे हैं। आगे (जाने पर) उन्होंने गृध्रपति जटायु को पड़ा देखा। वह श्री रामचंद्रजी के चरणों का स्मरण कर रहा था, जिनमें (ध्वजा, कुलिश आदि की) रेखाएँ (चिह्न) हैं॥