तं ददर्श महेष्वासो रथस्थः समलंकृतः। अलंकृतममित्रघ्नो रावणस्यात्मजो बली॥
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भगवान आदित्य
द्वादशादित्य
काशी (वाराणसी) के अत्यंत प्राचीन शिवलिङ्गों की दुर्लभ सूची-
His brutality could be Imagined by reading what was engraved on the Sword of the Mass murderer , Name a single country who celebrate Birth Anniversary of a Tyrant..!!
श्रीरामेति पदं चोक्त्वा जय राम ततः परम् ।
गुन सील कृपा परमायतनं। प्रनमामि निरंतर श्रीरमनं॥
नारदपंचरात्र मे वर्णित श्रीराधाजी के इन सैंतीस नामो से युक्त स्तोत्र का पाठ करनेवाला इस लोकमे अचल लक्ष्मी व परलोक मे हरि चरणों मे भक्ति प्राप्त करता है।
भगवान् श्रीविष्णु के आठवें अवतार, महाराज भरत के पिता एवं जैन धर्म के आदितीर्थंकर भगवान् श्री ऋषभदेव जी (१/२)
भगवान श्री राम और जगतजननी माता जानकीजी के दिव्य चरण चिन्ह। 🙏🚩
श्री राममन्त्र साधना (२/२)
सुठि सुंदर संबाद बर बिरचे बुद्धि बिचारि।
रामु कवन प्रभु पूछउँ तोही। कहिअ बुझाइ कृपानिधि मोही॥
राम चरित अति अमित मुनीसा। कहि न सकहिं सत कोटि अहीसा॥
तात सुनहु सादर मनु लाई। कहउँ राम कै कथा सुहाई॥
जय जय गिरिबरराज किसोरी। जय महेस मुख चंद चकोरी॥
हनुमान जयंती के व्रत की विधि (4/4)
हर ते भे हनुमान (3/4)
असुर निकंदन राम दुलारे (2/4)
संकर सुवन केसरीनंदन। तेज प्रताप महा जग बन्दन॥
जन्म की विभिन्न कथाएं
वामनं विश्वरूपं च वासुदेवं च विठ्ठलम् ।
वामनं विश्वरूपं च वासुदेवं च विठ्ठलम् ।
सो अनन्य जाकें असि मति न टरइ हनुमंत।
जगत बिदित तुम्हारि प्रभुताई। सुत परिजन बल बरनि न जाई॥
जद्यपि ब्रह्म अखंड अनंता। अनुभव गम्य भजहिं जेहि संता।
यस्य निःश्वसितं वेदा यो वेदेभ्योऽखिलं जगत् ।
धन्य देस सो जहँ सुरसरी। धन्य नारि पतिब्रत अनुसरी॥
दुरबासा मोहि दीन्ही सापा। प्रभु पद पेखि मिटा सो पापा॥
अखिल बिस्व यह मोर उपाया। सब पर मोहि बराबरि दाया॥
अजा अनादि सक्ति अबिनासिनि। सदा संभु अरधंग निवासिनि॥