वराह अवतार- जिनका तत्त्व मन्त्रोंसे जाना जाता है, जो यज्ञ और क्रतुरूप हैं तथा बड़े-बड़े यज्ञ जिनके अङ्ग हैं, उन ओंकारस्वरूप शुक्लकर्ममय त्रियुगमूर्ति पुरुषोत्तम भगवान् वराह को बार बार नमस्कार है, भगवान वराह ने ही अहंकारी हिरण्याक्ष का वध करके धरती को पाप मुक्त करा था ।।